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आश्रव और संवर (४)
संवर आत्मा के शुद्ध स्वरूप को पाने का सोपान है। जब तक इस सोपान पर आरोहण नहीं होता, स्वरूपोपलब्धि असंभव है। निर्जरा स्वरूप की प्राप्ति में सहायक तत्त्व है। तपःपूत चैतसिक निर्मलता का नाम निर्जरा है। संवर और निर्जरा- दोनों के योग से ऊर्ध्वारोहण होता है ।
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संवर शुद्ध स्वरूप को पाने का सोपान । सहयोगी है निर्जरा, तपःपूत प्रणिधान ||
अध्यात्म पदावली ४७
२६ मार्च २००६
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