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परिशिष्ट ५
अनु ( अनुसरणे) अनुसरण करना वि ( विस्तारे) विस्तृत होना अभि (अभिसारे-कान्तार्थे तया संकेतस्थाने गमने) प्रिय से मिलने के लिए संकेतित
स्थान पर जाना ।
उद् (उत्सरणे - दूरीभवने ) दूर होना
सम् - चक्कर लगाना निस् - निकालना
परि- आसपास घूमना उप— निकट जाना
११४. सुप्लृ ( सर्पति) जाना
उद् (उल्लंघने - उत्थाने ) ऊपर चढना
उत्थान करना
अप ( अपयाने) दूर होना
सम् (समन्तात् गतौ व्याप्तौ च ) चारों ओर से गति करना, व्याप्त होना ।
११५. स्कन्द (स्कन्दति ) अव (अवरोधने) अवरोध करना ११६. स्तृन्त् (स्तृणोति ) ढांकना वि ( विस्तारे) विस्तार करना सम् (संस्तरे) बिछाना
११७. स्पर्धङ (स्पर्धते ) स्पर्धा करना आ (आस्फालने) फडफडाना
११८. स्पृशं ( स्पृशति ) छूना उप ( आचमने) आचमन करना ११६. स्मृ ( स्मरति ) स्मरण करना वि (विस्मरणे) भूलना
१२०. हक् (हन्ति) मारना, जाना परा ( पराहतो) आघात करना सम् (संघाते ) एकत्रित होना वि (विघाते ) चोट करना १२१ हांक ( जिहीते ) जाना उत् ( उदये) उदित होना
६०७
१२२. हि ( हिनोति ) जाना, बढना
प्र ( प्रेरणे) प्रेरित करना
१२३. हृन् (हरति ) हरण करना प्र ( प्रहारे) प्रहार करना अप ( दूरीकरणे) अपहरण करना सम् (संहारे) संहार करना
अनु (अनुकरणे) अनुकरण करना, सदृश
होना
सम् + अभि-हरण करना
वि+आ (कथने) कहना
अभि + अव ( भोजने ) भोजन करना
अभि ( कोलाहले ) कोलाहल करना
+
(
च) तर्क करना, शुद्ध और अशुद्ध का विचार करना, वाद करना ।
शुद्धाशुद्धविचारे वादे
अभि + उत् ( दाने) देना
अभि + वि + आ ( उच्चारणे) उच्चारण
करना
उप ( दाने समीपानयने) देना, समीपलाना उप + सम् (अदाने रक्षणे एकत्रीकरणे समाप्ती
च) नहीं देना, रक्षा करना, इकट्ठा
करना, समाप्त करना ।
नि (निस्तब्धीभावे शीते निष्कालने च ) निस्तब्ध होना, ठंढा होना, निकालना निर् ( अपमाने ) अपमान करना निरा ( उपवासे) उपवास करना परि ( गालिदाने निन्दायां त्यागे रोधे सार - तत्त्वनिष्कालने च) गालि देना, निन्दा करना, त्याग करना, रोकना, सारतत्व को निकालना |
प्रत्या ( इन्द्रियदमनपूर्वकध्याने) प्रत्याहार करना - इन्द्रियों को विषयों से प्रति + सं ( त्यागे अप्रतिष्ठायां च )
हटाना । छोडना,