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परिशिष्ट ५
८८. वसं ( वसति) रहना पुनर् + आ - वापिस लौटना उप (उपवासे) उपवास करना, निकट रहना वि + आ - पृथक् होना प्र ( विदेशगमने ) प्रवास करना
उप-समीप होना
अनु - रहना
अधि - रहना
आ - रहना
८६. वन ( वहति) वहन करना उद् (उद्वाहे) विवाह करना ६०. विशंज् (विशति) घुसना नि (निविशति ) बैठना आ (निविशते ) व्याप्त होना
अभि + नि ( बुद्धिप्रवेशने) ज्ञान पूर्वक प्रवेश
करना
सम् (शयने) सोना
निर् (भृतो भोगे च ) वेतन देना, भोग
करना
उप (स्थितौ ) बैठना
परि ( परिवेशने) घेरना १. वृतुङ् ( वर्तते ) होना
अति (जये नियोगे उल्लंघने च) जीतना, नियुक्त करना, अतिक्रमण करना अनु (अनुकरणे) अनुकरण करना अप ( प्रतिगमने) लौटना
आ (भ्रमणे) घूमना
नि (निवृत्तौ ) निवृत्त होना निर् ( करणे) करना
परि (वेष्टने परिवर्तने वर्चस्वीभवने चक्रवद् भ्रमणे च) बेष्टित करना, परिवर्तन करना, वर्चस्वी होना, चक्राकार घूमता प्र ( कार्यलग्ने प्रारंभे च ) कार्य में प्रवृत्त होना, प्रारंभ करना
वि ( गमने चक्रवद् भ्रमणे च) जाना, चक्राकार घूमना, अवस्था बदलना
ε२. वृन्त् ( वृणोति ) वरना
सम् (संकोचने) संकुचित करना
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वि ( विस्तारकरणे) विस्तार करना अति (जये नियोगे उल्लंघने च) विजित होना, नियुक्त करना, प्रेरित करना
आ— ढांकना
३. व्रज ( व्रजति) जाना
परि ( सन्न्यसने ) संन्यास लेना अनु ( अनुगमने) अनुगमन करना अप ( अपगमने) दूर होना ε४. शमुच् (शाम्यति) शान्त होना उप (निवृत्तौ ) उपशांत होना, निवृत्त होना ६५. शासुक् (शास्ति) अनुशासन करना आ (आशंसने आशीर्वादप्रार्थने) आशीर्वाद की प्रार्थना करना
९६. शिब्लू र् ( शिनष्टि) विशेषित
करना
वि (विशेषकरणे ) विशिष्ट करना ε७. शिषण (शेषयति) अनुपयुक्त होना वि ( अतिशायने) विशिष्ट होना अव (अवशेषे) अवशिष्ट होना
६८. शीक् (शेते ) सोना अति (अतिशेते) अतिक्रमण करना अधि ( शय्यामधिशेते ) सोना सम् — संशय होना
अनु – पश्चात्ताप करना
६६. शुच ( शोचति ) शोक करना अनु (किञ्चिदुद्देशेन पश्चात्तापे) शोक
करना, पश्चात्ताप करना