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सम् (सम्बोधने - क्रियासु नियोगार्थमाभिमुख्यसम्पादने ) सम्बोधन करना
प्र ( जागरणे विकासे च ) प्रबुद्ध होना, बिकसित होना
अव (ज्ञाने ) जानना ५५. भांक् (भाति) शोभित होना वि+अति (परस्परभाने) परस्पर भान
होना
प्रति ( प्रतिभायां ) आभास होना ५६. भू(भवति) होना
सम् (निश्चितप्रायविषये ) संभव होना अधि (अनुशासनकरणे) अनुशासन करना वि+अभि ( परस्परमित्रभवने ) मित्र होना
परस्पर
प्रादुर् (प्रकटीकरणे ) प्रकट होना आविर् ( प्रकटीकरणे ) प्रकट होना तिरस् (प्रच्छन्ने) तिरोहित होना उत् ( उत्पत्तौ ) उत्पन्न होना प्रति (प्रतिरूपभवने) सदृश होना परा (अशक्यता निश्चये
निवृत्तौ ) हार
जाना
परि ( तिरस्कारे) तिरस्कार करना अनु (अनुभवे) अनुभव करना प्र - पैदा होना, समर्थ होना
अभि-हार जाना
सं + उद् - उत्पन्न होना
५७. मदीच् (माद्यति ) हर्षित होना उत् (उन्मादे) उन्माद होना प्र ( प्रमादे ) प्रमाद होना ५८. मनङ्च् ( मन्यते ) जानना अभि ( अभिमाने) अभिमान करना सम् (सम्माने) सम्मान करना अप् (अपमाने) अपमान करना
वाक्यरचना बोध
अव ( अपमाने ) अपमान करना वि (विमती) विपरीत मानना
५६. मन्त्र ण् (मन्त्रयते) मन्त्रणा करना आ (आमन्त्रणे सम्बोधने च ) आमन्त्रण देना, सम्बोधन करना
नि (निमंत्रणे ) निमन्त्रण देना
अभि ( मन्त्रपाठेन संस्कारकरणे) मंत्र पाठ से संस्कारित करना ।
६०. मस्जोंज् (मज्जति) स्नान करना, डूबना
नि (निमज्जने - अत्यन्तासक्तौ ) आसक्त होना, डूब जाना ।
उत् ( उन्मज्जने) उन्मज्जन करना, उत्प्लवन
करना ।
६१. मांक (माति) समाना प्र ( प्रमाणे ) प्रमाण करना परि ( परिमाणे ) परिमाण करना उत् ( उन्माने ) उन्मान करना वि (विमाने ) तिरस्कार करना
६२. मिन्त ( मिनोति) फेंकना अनु (अनुमाने) अनुमान करना प्र ( प्रमाणे ) प्रमाण करना उप ( उपमाने ) उपमित वरना
अत्यन्त
६३. मिषज् (मिषति) स्पर्धा करना उत् ( उन्मेषे, प्रकाशे) प्रकाशित होना, खुलना
नि (निमेषे ) निमेष होना, बंद होना ६४. मील ( मीलति ) संकुचित करना प्र ( प्रमीलायाम् ) नींद लेना नि (निमीलने) बंद होना उत् (उन्मीलने) खुलना