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"TET"
परिशिष्ट ५
६०१ प्रति (उपकारमानने सुनिर्वाहे च) उपकार सम् +नि (अग्रेवा बहिर्गमने संयोगे )
मानना, अच्छीतरह निर्वाह करना आगे जाना, बाहर जाना, संयोग होना दुर् (अनिष्टनीतिवर्तने) बुरी नीति का ५१. पदंडच (पद्यते) जाना ___ व्यवहार करना
उत् (उद्भवे) उत्पन्न होना परि (विवाहे) विवाह करना
सम् (सम्पत्ती) संपन्न होना सम् (एकत्रीकरणे) इकट्ठा करना वि (मरणे) नष्ट होना सम्+अनु (प्रार्थनायाम्) प्रार्थना करना आ (आपत्तो) आपत्ति में पड़ना सम्+आ (एकत्रीकरणे) इकट्ठा करना प्रति (ज्ञाने स्वीकारे वा) जानना, स्वीकार ४६. पटण् (पाटयति) नीचे गिरना
करना उत् (उन्मूलने) उखाडना
उप (उपपत्तो-युक्तियुक्तभवने) युक्तियुक्त
होना ५०. पत्लु (पतति) गिरना
अभि+उप (स्वीकारे) स्वीकार करना उत् (उर्वपतने) उडना
वि+उत् (मूलतत्वान्वेषणे मनने च) मूल प्र+नि (नमस्कारे) नमस्कार करना रूप की खोज करना, मनन करना अनु (अनुगमने) अनुसरण करना समा (उपस्थितौ समाप्ती च) उपस्थित अति (जये श्रेष्ठभवने) आगे निकल जाना होना, समाप्त होना अभि+अव (उत्तरणे) उतरना
प्र (उत्पत्तौ प्रारंभे शरणं प्राप्ते च) उत्पन्त आ (आगमने प्राप्तौ उपस्थितौ च) आना, होना, प्रारंभ करना, शरण पाना प्राप्त करना, उपस्थित होना
५२. बन्धंश् (बध्नाति) बांधना नि (घटितभवने मिलने सिद्धशब्दे च) घटित अनु (अनुबन्धने योजने) पीछे बंध जाना
होना, मिलना, शब्द का अनियमित रूप सम् (सम्बन्धे) सम्बन्ध करना से निष्पन्न होना
उत् (उद्बन्धने) स्वयं फांसी लगा लेना निर् (पलायने आच्छादने च) पलायन प्रति (प्रतिबन्धे) प्रतिबन्ध लगाना करना, ढकना
नि (निबन्धे-ग्रन्थ रचनायां) निबन्ध लिखना परि (शीघ्रगमने मूल्यवद्भवने प्रवेशे च) निर् (निर्बन्धे) बन्धन रहित होना
शीघ्र जाना, मूल्यवान् होना, प्रवेश प्र (प्रबन्धे) शोध प्रबन्ध लिखना, व्यवस्था करना
करना वि+नि (प्रतिगमने) वापिस जानावि (मलरोधे) मल का अवरोध करना . सम् (सार्द्धगमने मिलने च) साथ में जाना, ५३. बाधृङ् (बाधते) पीडा देना मिलना
सम् (अन्योन्योत्पीडने) परस्पर में उत्पीडन सम् + आ (शुद्धीकरणे) शुद्ध करना
करना, दबाना सम् + उत् (पलायने उड्डयने च) पलायन ५४. बुधच् (बुध्यते) जानना करना, उडना
उत् (उद्बोधे) उद्बोधित करना