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संपादकीय
तेरापथ धर्मसंघ में ५८ वर्ष पूर्व एक सर्वांगीण व्याकरण भिक्षुशब्दानुशासन की रचना हुईं। उसकी प्रक्रिया कालुकौमुदी पूर्वार्द्ध और उत्तरार्द्ध दो भागों में वि० सं० २००८ में प्रकाशित हुई। इस धर्मसंघ में सभी साधुसाध्वियां इसी के माध्यम से संस्कृत भाषा का अध्ययन करते रहे। इससे पूर्व वि० सं० २००४ में वाक्य रचना का निर्माण हुआ। यह मुनि श्री नथमलजी (वर्तमान में युवाचार्य महाप्रज्ञ) की कृति थी। उसके तीन विभाग थे। साधुसाध्वियों के पाठयक्रम में यह थी। उसमें अक्षरज्ञान से लेकर कृदन्त के प्रत्ययों तक का संक्षिप्त बोध था। उसकी अनेक हस्तलिखित प्रतियां आज भी उपलब्ध है । प्रस्तुत पुस्तक उन्हीं तीन भागों का ही विस्तृत रूप है। इसमें ८२ पाठ हैं। अक्षर, व्यंजन, वाक्य, विभक्ति बोध, पुरुष-वचन, वर्तमान, भूत, भविष्यत्काल के ३ पाठ, धातु, वाच्य, लिंगबोध के २ पाठ, विशेषण और विशेष्य, संख्यावाची शब्द, स्त्रीप्रत्यय के २ पाठ, कारक के ७ पाठ, समास के ७ पाठ, तद्धित के १५ पाठ, क्रियाविशेषण, बिन्नन्त, सन्नन्त, पदव्यवस्था और विभक्त्यर्थ प्रक्रिया के दो-दो पाठ, कृदन्त के प्रत्ययों के १८ पाठ हैं। इन पाठों में अक्षर बोध से लेकर कृन्दत के प्रत्ययों तक की विस्तृत जानकारी है। कालु कौमुदी का पूर्वार्द्ध और उत्तरार्द्ध इसमें समाविष्ट है। पूर्वार्द्ध का शब्दसिद्धिकारक ट्लिंग और धातुसिद्धिकारक १० गण इसमें नहीं हैं। शब्दसिद्धि के स्थान पर शब्दरूपावली और धातु के १० लकारों की सिद्धि के स्थान पर धातुरूपावली दी गई है। विद्यार्थी को शब्दसिद्धि और धातुरूपसिद्धि के प्रपंच में फंसाया नहीं गया है, सिद्ध किया गया रूप उसके सामने प्रस्तुत है। वह सुगमता से उसका प्रयोग कर सकता है। इस पुस्तक में श्री भिक्षु शब्दानुशासन के सूत्रों का प्रयोग किया गया है। इसकी संज्ञाएं पाणिनीय व्याकरण से भिन्न है। तिबादि आदि विभक्ति और कृदन्त के प्रत्ययों की संज्ञा के साथ पाणिनीय व्याकरण की संज्ञाएं भी दी गई हैं, जिससे अन्य पाठकों को भी कठिनाई की अनुभूति न हो। इसमें सूत्रों को नियम की संज्ञा दी गई है। सूत्र के आगे भिक्षुशब्दानुशासन व्याकरण के प्रमाण हैं। सूत्रों की वृत्ति न देकर उसका हिन्दी अर्थ दिया गया है, जिससे पाठक को समझने में सुगमता हो। कहीं-कहीं पर उदाहरण और प्रत्युदाहरण भी दिए गए हैं। कालु कौमुदी के (पूर्वार्द्ध और उत्तरार्द्ध) सूत्रों के अतिरिक्त अनेक सूत्र इसमें दिए गए हैं, जो विषय को स्पप्ट करते हैं। पांचों संधियों के सूत्रों को पाठ के