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वाक्यरचना बोध
छोड़कर दीर्घ स्वर पदान्त में हो तो छकार विकल्प से द्वित्व हो जाता है । लक्ष्मीच्छाया, लक्ष्मीछाया । वधूच्छत्रम, वधूछत्रम् । नौच्छाया, नौछाया; कुटीच्छाया, कुटी छाया।
प्रयोगवाक्य बालकः निलयनक्रीडां करोति । योगिनः सवितारं पश्यन्ति । शिष्यो गुरुं प्रणमतः । विनीतः पूर्वजान अनुहरति । युवां पाठं पठथ । गुरुणा त्वं कथ्यते । बालकेन निलयनक्रीडा क्रियते । शिष्याभ्यां गुरुः प्रणम्यते । योगिनः सविता दृश्यते । गुरुणा विनेयो उपदिश्येते । विनीतेन पूर्वजाः अनुह्रियन्ते । मातुलेन भागिनेयः अपाठि। प्रपोठ्या भगिनी भीयते । पितामहेन पुत्री स्मर्यते । मातध्वसपत्या स्वश्वसुराय पुस्तकं दीयते । भागिनेयेन पौत्रः जागर्यते । छात्राभ्यां पठ्यते । छात्र : पठ्यते । त्वया पठ्यते । आवाभ्यां पठ्यते । अस्माभिः पठ्यते । -शुक्लपक्षे चन्द्रमसा वय॑ते ।
संस्कृत में अनुवाद करो बहिन नदी तैरती है । सीता राम की पत्नी थी। पृथ्वी पर कौन बैठा है। सीता जना की पुत्री थी। मेरी दादी प्रतिपल प्रभु का चिंतन करती है। कर्मवाच्य में परिवर्तन करो
परदादी क्यों दुखी है । भतीजी क्या गाती है । मामी जैनागमों का अभ्यास करती है । पौत्री पाठ पढती है । जेठानी की बहन घर जाती है । देवरानी देवर से पूछती है । दादी पत्र लिखती है । भाभी बार-बार फूल सूंघती है । सुहागिन स्त्रियां पानी पीती हैं । वैद्य रोग की चिकित्सा करता है ।
अभ्यास १. कर्तृवाच्य किसे कहते हैं ? कर्ता में कौन सी विभक्ति होती है। २. कर्ता में प्रथमा और तृतीया विभक्ति किस वाच्य में होती है। ३. कर्म में द्वितीया और प्रथमा विभक्ति कहां-कहां होती है। ४. कर्ता और कर्म को गौण करने वाला कौन सा वाच्य है। उसमें क्या
किया जाता है। ५. संधिकरो
सूर्य+छाया । तेन+छन्नम् । यावत्+शक्यः । काचित्+शिक्षा । अस्मिन+अस्ति। . भवान् + अयम् । भवन्+एषा। इयत्+शीतलम् । एतस्मिन्+ अक्षवाटे। ६. संधि विच्छेद करो
उत्यानम्, कियच्छीतलम् । कस्यचिच्छेष्ठिनः । गृहमेतच्छोभते, एतच्छक्तिः । तच्छक्तिः ।