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तव्य, अनीय प्रत्यय
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न अत्तव्यः । शीला एतद् कार्य कर्तव्यम् । अशोकेन पाठः स्मर्तव्यम् । शिशुः शयनीयम् । साधकाः जागरणीयः । २. निम्नलिखित धातुओं के तव्य, अनीय प्रत्ययों के रूप बताओ
मृज, हृ, कृ, अद्, ष्टु, शी, पिष, दृश्, भी, विद् । ३. निम्नलिखित तव्य, अनीय प्रत्ययों के रूपों को वाक्यों में प्रयुक्त करो
हन्तव्यम्, अदनीयम, स्मर्तव्यम, धरणीयम, गन्तव्यम् । ४. तव्य और अनीय प्रत्यय किन धातुओं से होता है और किसमें होता है ? ५. तव्य और अनीय प्रत्यय के रूप बनाने का सरल तरीका क्या है ?