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पाठ: ६४ : विभक्त्यर्थ प्रक्रिया (२)
शब्दसंग्रह
आलू : (आलु) । रक्ताङ्गः (टमाटर) । गोजिह्वा (गोभी) । कलायः (मटर) । भिण्डक : ( भिंडी ) । टिण्डिश: (टिंडा ) । अलाबु : (लौकी) । कूष्माण्ड : (कद्दू ) । गृञ्जनम् (गाजर) । मूलकम् ( मुली ) । श्वेतकन्दः ( शलगम ) । पालकी (पालक) । जालिनी ( तोरई ) । पटोल: (परवल) । कारवेल्लः (करेला ) । कर्कटी ( ककडी ) । पनसम् (कटहल ) । शदः ( सलाद ) | करमर्दकः ( करौंदा ) । तिन्तिडीकम् ( इमली ) ।
नियम
नियम ५७८ - ( ननौ पृष्टोक्तौ वर्तमानवत् ४|४|१६७ ) प्रश्न के उत्तर में ननु शब्द उपपद में हो तो भूतकाल के अर्थ में तिबादि विभक्ति होती है । fक अकार्षीः तपः साधो ! ननु करोमि भोः । किं लेख अलिख: ? ननु लिखामि ।
नियम ५७६ - ( यावत्पुरयोर्भविष्यति ४/४/६६ ) निपातशब्द यावत् और पुरा के योग में भविष्यति के अर्थ में तिबादि विभक्ति होती है । यावद् भुङ्क्ते । पुरा भुङ्क्ते ।
नियम ५८०- - ( कदाकह्यर्वा ४|४|७० ) कदा, कर्हि शब्द पूर्वपद में हो तो भविष्यति के अर्थ में तिबादि विभक्ति विकल्प से होती है । पक्ष में तादि, स्यत्यादि भी । कदा भुङ्क्ते । कदा भोक्ता, कदा भोक्ष्यते । कहि पठति, कहि पठिता, कर्हि पठिष्यति ।
नियम ५८१ - ( वर्तमानसामीप्ये वर्तमानवद् वा ४|४|७६ ) समीप का भूत और समीप का भविष्य के अर्थ में तिबादि विभक्ति विकल्प से होती है । कदा आगतोऽसि ? अयं आगच्छामि । कदा गमिष्यसि ? एष गच्छामि । नियम ५८२- - ( इच्छार्थेभ्यो वा वर्तमाने ४|४|१०१ ) इच्छति के अर्थवाली धातुओं से वर्तमान (तिबादि ) अर्थ में यादादि विकल्प से होती है। पक्ष में तिबादि भी । इच्छेत् इच्छति । उश्यात् वष्टि । कामयेत्, कामयति । वाञ्छेत्, वाञ्छति । यदि संयतः सन्नकल्प्यं सेवितुमिच्छेत् इच्छति
महे ।
नियम ५८३- - ( हेतुफले ४/४/६६ ) हेतु (कारण), फल ( कार्य ) । हेतु और फल अर्थ में यादादि विकल्प से होती है । यदि गुरुन् उपासीत