________________
पाठ ३५ : समास ६ ( एकशेष)
शब्दसंग्रह
उत्तरीयम् ( मरदाना दुपट्टा ) । करपूः मुखप्रोंछनम् ( रूमाल )। चंडातकम् ( लहंगा ) । वासकटिः ( बासकट) । फर्फरीका (सलीपर, हवाई चप्पल) । शाटी, शाटिका (साडी ) । उपानह, ( जूता ) । उष्णीषम् ( पगडी) । अङ्गप्रोक्षणम् ( अंगोछा ) । उपधानम् ( तकिया) । कम्बलः (कम्बल) । नीशार : ( रजाई ) । कञ्चुकः ( कुर्ता ) । रशना ( कमरबंद, नाडा) । उपसंख्यानम्, अधोवस्त्रम् (धोती) । पादयाम: ( पायजामा ) । प्रावारः, चोडः, चालक: (कांट) ।
धातु - इं— अध्ययने (अधीते) अध्ययन करना । अदं, प्सांकू - भक्षणे ( अत्ति, साति) खाना । यांक् — गतो (याति) जाना । भांक् दीप्ती (भाति ) शोभित होना । ष्णांक - शौचे ( स्नाति ) स्नान करना पांक- रक्षणे ( पाति) रक्षा करना । ख्यांक् — प्रकथने ( ख्याति ) कहना । अदं, प्सां और यां धातु के रूप याद करो (देखें परिशिष्ट २ संख्या २१,८०,२२) । भांक् से लेकर ख्यांक तक के रूप प्राय: प्सांक् की तरह चलते हैं ।
एकशेष
से
द्वन्द्वसमास का एक भेद और है जिसे एकशेष कहते हैं । दो शब्दों में एक शब्द शेष रहकर दोनों का बोध कराये उसे 'एकशेष' कहते हैं । जैसे-माता च पिता च पितरी । भ्राता च स्वसा च = भ्रातरी ।
=
एकशेष के कुछ नियम ये हैं
नियम २०८ - - (समानामऽर्थेनं कशेषः ३|१ | १३४ ) समान अर्थ वाले शब्दों का एक कथन हो तो उनमें से कोई एक शेष रह जाता है । शब्दों के अनुसार उनमें द्विवचन या बहुवचन होता है। जैसे- - वक्रश्च कुटिलश्च = वक्री कुटिलो वा ।
F DAS / ज्यादावसंख्येय' 31919३५ ) संख्यावाची शब्दों को छोडकर कोई शब्द दो या दो से अधिक बार प्रयुक्त होता हो तो उनमें एक शेष रह जाता है । जैसे - वृक्षश्च वृक्षश्च = वृक्षो । वृक्षश्च वृक्षश्च वृक्षश्च - वृक्षाः ।
नियम २१० - - ( त्यदादिः ३|१|१३६) त्यद् आदि शब्द ( त्यद्, तद्, यद्, अदस्, इदम्, एतद्, एक, द्वि, युष्मद् अस्मद्, भवतु, किम्) दूसरे नाम के