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समास (१) अव्ययीभाव
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नियम १७२-(जरायाः जरस् च ८।३।२६) जरा शब्द अन्त में हो तो समास के अन्त में ट प्रत्यय हो जाता है और जरा को जरस् आदेश हो जाता है । जैसे-उपजरसम्, प्रतिजरसम् ।
नियम १७३–(प्रतिपर: समनुभ्योऽक्षण: ८।३।३०) प्रति, परस्; सम्, अनु इनसे आगे अक्षि शब्द हो तो समास के अन्त में ट प्रत्यय हो जाता हैं । जैसे-अक्षिणी प्रति =प्रत्यक्षम् । अक्ष्णो परः-- परोक्षम् । संगतमक्ष्णा= समक्षम् । अक्ष्णः समीपम् = अन्वक्षम् ।
नियम १७४- (अनः) नपुंसकाद् वा ८।३।३१,३२) 'अन्' अन्त वाले शब्दों से ट प्रत्यय होता है। जैसे-उपराजं, अध्यात्म, प्रत्यात्यमम् । यदि 'अन्' अन्त वाले शब्द नपुंसकवाची हो तो उनसे विकल्प से ट प्रत्यय हो जाता है। जैसे-उपचर्म उपचर्म । प्रतिकर्म, प्रतिकर्म । अनुलोम, प्रतिलोम ।
नियम १७५- (झपात् ८।३।३३) 'झप' प्रत्याहार शब्द अंत में हो तो ट प्रत्यय विकल्प से होता है। जैसे—अधिस्रजं, अधिस्रक् । प्रतिमरुतं, प्रतिमरुत् । उपदृषदं, उपदृषद् ।
नियम १७६-(गिरिनदीपौर्णमास्याग्रहायणीभ्यः ८।३।३४) गिरि, नदी, पौर्णमासी, आग्रहायणी अंतवाले शब्दों से ट प्रत्यय विकल्प से होता है। जैसे-उपगिरं, उपगिरि । उपनदं, उपनदि । उपपौर्णमासं, उपपौर्णमासि । उपाग्रहायणं, उपाग्रहायणी (मिगसर की पूर्णिमा के पास)।
प्रयोगवाक्य ___ अधिस्त्रि निधेहि । उपाग्नि मा तिष्ठ । अतिकम्बलं अयं कालः । निर्मक्षिकं इदं स्थानम् । इतिभद्रबाहु सर्वत्र प्रसृता अस्ति । अनुजयाचार्य मघवागणिनः बभूवुः । यथाशक्ति पठ । अनुबलं तपः तप । प्रतिग्राम विहर । प्रतिबालं मोदकं देहि । बुभुक्षितेन बालेन सशुष्कपूपिकं भक्षितम् । बहिनाम एक: विद्यालयोऽस्ति । परिहिमालयं ग्रीष्मः वर्तते । पारेसमुद्रं जैनधर्मः गतः । दुहरिजनं प्रश्नचिह्नोऽस्ति मुख्यमंत्रिणां कृते । यथादक्षं व्याकरणं पृच्छ। पठनकाले इतस्तत: मा ईक्षस्व । ज्ञानं प्राप्तुं सर्वदा ईहस्व । अहं मुनीनां पार्वे संस्कृतं शिशिक्षे । आचार्यकालु: मां दिदीक्षे ।।
संस्कृत में अनुवाद करो (अव्ययों का प्रयोग करो)
बालकों में कौन प्रिय है ? गुरुदेव के पास कौन है ? चक्रवर्ती की समृद्धि प्रसिद्ध है । वह जन रहित स्थान में ध्यान करता है । अंधकार में पढ़ना ठीक नहीं है। शिमला में हिम का विनाश कब हुआ? महावीर की ख्याति विश्व भर में है । जंबूस्वामी के बाद कौन आचार्य हुए ? प्रतिष्ठा के अनुरूप कार्य करो। जो जो बुद्धिमान हैं वे परीक्षा दें। बडों के क्रम से सोवो ? भूखी गाय तृण सहित सब कुछ खा गई। मैंने चूलिका सहित दशवकालिक पढ ली।