________________
पाठ ३० : समास (१) अव्ययीभाव
शब्दसंग्रह - मिष्टान्नम् (मीठा) । यवागूः, कृशरः (खिचडी) । सेविका, सूत्रिका (सेवई)। गुडधाना (गुडधानी, भूने हुए गेहूं में पाग कर बनाया हुआ लड्डू)। अपूपः (पूआ) । पायसम् (खीर) । सूपः (दाल)। शर्करा (शक्कर)। सिता (चीनी) । पोलिका, पूरिका, शष्कुली (पूरी)। लवणम् (नमक)। तक्रम् (मट्ठा) । धान्यम् (धान) । सक्तुः (सत्तू) । लशुनम् (लहसुन) । दधिवटक: (दहीबडा)। अभ्यूषः (डबल रोटी) । भृष्टापूपः (टोस्ट)। पिष्टकः (बिस्कुट)। गुल्यः (टॉफी, मीठी गोली)। कफनी (कॉफी)। जलपानम् (जलपान) । सग्धिः (सहभोज)। पक्वालुः (कचालू, आलू की टिकिया)। कूलपी (कुलफी) । व्यञ्जनम् (मसाला, मसालेदार पदार्थ)। पुलाकः (पुलाव) ।
धातु-ईक्षङ्-दर्शने (ईक्षते) देखना। ईहङ्--चेष्टायाम् (ईहते) चेष्टा करना । शिक्षङ्-विद्योपादाने (शिक्षते) विद्या प्राप्त करना। दीक्षङ्मौण्ड्येज्योपनयननियमव्रतादेशेषु (दीक्षते) मुंडित करना, यज्ञ करना, जनेऊ देना, व्रत करना, संस्कार करना।
कति, अन्य, त्यद् और उभ शब्दों के रूप याद करो। (देखें परिशिष्ट १ संख्या ७४,६८,३३,७५) ।
ईक्षङ् धातु के रूप याद करो (देखें परिशिष्ट २ संख्या ७०)।
ईहङ् के रूप ईक्षङ् की तरह चलते हैं । शिक्षङ् और दीक्षङ् के रूप वदिङ् की तरह चलते हैं।
समास समास और विग्रह ये दो शब्द हैं । परस्पर में अपेक्षा रखने वाले दो या दो से अधिक शब्दों के संयोग को समास कहते हैं। समासित पदों को अलग करने को विग्रह कहते हैं । जैसे—सुखस्य मार्गः । ये दो पद हैं। इनको एक पद करने को समास कहते हैं । समास करने पर सभी पदों की विभक्तियों का लोप हो जाता है । सुखमार्गः यह समास किया हुआ पद है । इसका विग्रह होगा-सुखस्य मार्गः । जिन जिन पदों का समास किया जाता है उनकी विभक्तियों का लोप हो जाता है और समास होने पर वह एक पद बन जाता है । समास में सभी पदों की नित्य संधि होती है। समास करने पर अंतिम शब्द से विभक्ति आती है । समास कम से कम दो पदों का होता है। पहले पद