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अर्थात् रात्रि भोजन त्याग का फल है। यह रात्रिभोजन त्याग व्रत परंपरा से मुक्ति का भी कारण कहा गया है। इस व्रत के प्रभाव से सोमा सती ने नाग का हार बना दिया । चाण्डालिनी जागरिका नागश्री नाम की सुंदर कन्या बन गयी । श्याल प्रीतिंकर नाम का राजकुमार बन गया। इस प्रकार की अनेक कथाएँ शास्त्रों में आती हैं।
120 :: सुनील प्राकृत समग्र