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सव्वे हु पंच तणया मुणि-भत्ति-पुण्णा
मादुल्ल भूमि पियगा बहुवच्छला ते॥22॥ प्यारेलाल, श्यामस्वरुप दोनों भाई प्रकृति से सौम्य थे। चंद्र सम चंद्रमुखी, कमलिनी सदृशा कमला एवं श्यामा जैसी पुत्रियों से युक्त थे। वे पांचों संतति मुनिभक्त थीं। वे मातृभूमि के प्रति प्रेम रखने वाली वात्सल्य गुण युक्त थीं। .
23 बालत्त-सम्म-समए सयला सुमित्ताते सव्व-धम्मिगजणा परिवार-सुत्ता। पाढं पढेंति हु चरेति मुणीण सेवी
अज्झेज्जएंति वय विद्धि कुणंत सव्वे ॥23॥ वे बचपन से अच्छी तरह समभावी उत्तम मित्र की तरह थे। वे सभी धार्मिक जन परिवार के सूत्र थे। एक सूत्र में बंधे थे, वे अध्ययन करते और वे मुनियों के सेवा भावी वयवृद्धि करते हुए अध्ययन करते हैं।
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उविंदवज्जछंदो (उपेन्द्रवज्रा) ।। sss sss
सुसोम्म-सीला गुणमंत सव्वे, सुसुत्त बज्झा विणआ सुणम्मा।
फफोदु गामे सुउमाल-रूवे, सुसोम्म देही सयलाण णेही ॥24॥ __ वे अति सौम्य गुणवंत सभी एक दूसरे से आबद्ध विनीत एवं नम्र थे। वे फफोदु ग्राम के सुकुमार सुकुमारी सुसोम्य देही सभी के स्नेही थे।
25 सुधम्मचित्ता जिणधम्म-मुत्ता, सुकम्म-जत्ता अणगार भत्ता।
पढेति णिच्चं अणुसास-जुत्ता, कुमार-पत्ता बहुमाण-पत्ता ॥25॥ वे उत्तमधर्म के चित्त वाले, जिन धर्म की मुक्ताएं, उत्तम कर्म के यात्री अनगार भक्त नित्य अनुशासन के सूत्र पढ़ते हैं। वे कुमार कुमारियाँ बहुमान की पात्रा बनी।
26 भुजंगप्पयाओछंदो (भुजंगप्रयात छंद) भुजगो वण्ण-बारह
बीस मत्ता ।ऽऽ ।ऽऽ ।ऽऽ Iss-12 वर्ण
सम्मदि सम्भवो :: 49