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वेत्ता, राजनैतिक, श्रेष्ठी एवं विशेष अधिकारी भी थे । वे धार्मिक, एवं व्यवसाय निष्ठ भी थे।
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जत्थेव माणिग- समो महणाणि माणी कोंदेय माणिगय चंद- विचार - धम्मी । सो सामसुंदर णरिंदपगास-खेत्तो सिद्धंत सुत णिउणा बहु-संत सेवी ॥19॥
इस उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में माणिक की तरह ज्ञानी मानी माणिकचंद कौंदेय श्यामसुंदर, नरेन्द्रप्रकाश (प्राचार्य नरेन्द्र प्रकाश) आदि विद्वान् हुए। वे सिद्धान्त सूत्रों में निपुण एवं संतों की सेवा (मुनिभक्त) भावी जन थे।
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फप्फोद गाम अणु उत्तर - उत्तरम्मि एटाइ मंडल गदे मणुहारि खेत्तो ।
अस्सिं च खेत्त - किसगा वणिगा वि सिप्पी
तंतूग - रज्जग- कलासु कलाव णित्ती ॥20 ॥
फफोतू गाम उत्तर में मानो अनुत्तर ही हो। यह एटा मंडल में मनोहारी है, यहाँ पर कृषि क्षेत्र से जुड़े कृषक हैं, वणिक, शिल्पी आदि भी हैं। तंतूवाह, रजक आदि कलाकुशलों का क्षेत्र हैं ।
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सीया हु राम - पहाण- सुसेट्ठि - माणी
सो सज्जो विसरलो अणुधम्म - धाणी ।
तस्सेव पुत्त - हरपस्सद- सेट्ठ लाला लाला इधेव जणणेहि धणी पमाणी ॥ 21 ॥
फफोतू ग्राम में सीताराम श्रेष्ठी थे, वे सम्मान प्राप्त वहाँ के प्रमुख व्यक्ति थे, वे सज्जन सरल, धर्मनिष्ठ, अनेक समादरों को प्राप्त थे । उनका ही पुत्र हरप्रसाद वहाँ
प्रिय लाला लालित्य गुणों, जनों के स्नेही और धनी प्रमाणी भी थे । इसलिए वे लाला थे। इस एटा क्षेत्र में धनी मानी के लिए लाला कहते हैं ।
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लालो पियार - बहुसाम- सुसोम्म - भाऊ चंदामुही वि कमला सुदि - साम - देवी ।
48:: सम्मदि सम्भवो