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________________ सातवां अध्याय सुरत शहर में सूरत शहर ! सूरत के लोग खान पान के बहुत शौक़ीन हैं। भारत के शहरे में सूरत ऐसा शहर है जहाँ तरकारी सब से अधिक खाई जाती है। यहाँ के निवासी सुखी शान्त और समझदार हैं। उनमें दुःख को भूलने का माद्दा गज़ब का है। वे बुद्धि और कला का समन्वय साधना जानते हैं। यह सब होते हुए भी इनका धर्म-प्रेम भी अद्भुत है। सूरत में नन्दीश्वर द्वीप के मंदिर के फलकों पर १७५ वर्ष से भी पुरानी चित्रकला के नमूने हैं। वह। एक सिद्धगिरि का पट है जिसमें सेठ मोतीशा की ट्रॅक नहीं क्यों कि यह पट सेठ मातीशा की ट्रॅक बनने से पहले का है । पूज्यपाद आचार्यदेव श्री ज्ञानविमल सूरीश्वरजी महाराज के मार्गदर्शन के अनुसार इस मंदिर के फलकों पर विशिष्ट कलामय कार्य हुआ है। सूरत धनकुबेरे का नगर माना जाता था। मराठा, मुगल और ब्रिटिश राज्यों में कई बार बुरी नीयत से इस नगर में लूटपाट, तोड़फोड़ कर इसे तहस नहस करने का प्रयत्न किया है। फिर भी सूरत पर महात्माओं की सदा कृपा दृष्टि रही है अतएव समय, नियति और अत्याचारी सल्तनतों के अनेक आक्रमणों के बावजूद यह शहर ज्यों का त्यों बना रहा है।
SR No.032387
Book TitleAgamdharsuri
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamasagar
PublisherJain Pustak Prakashak Samstha
Publication Year1973
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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