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अनेक साधु-साध्वियोंने इन अमोल वाचनाका पूरा लाभ उठाया। श्री जैनानंद पुस्तकालय की ओर से अनेक छोटे-बड़े शहरों में ज्ञानभंडार स्थापित करनेवाले आपश्रीके जीवन के धार्मिक प्रसंगों में से मुख्य प्रसंग निम्नानुसार हैं।
ज्ञानसंस्थाएँ १. सेठ देवचंद लालम'ई जैन पुस्तकाद्धार फंड सुस्त कि. स. १९६४ २. तत्त्वबोध जैन पाठशाला
सुरत वि. सं. १९६८ ३. श्री आगमोदय समिति .. - भायणी वि. सं. १९७१ ४. श्री राजनगर (अहमदाबाद) जैन श्वे.
मू. धार्मिक इनामी परीक्षा अहमदाबाद वि. सं. १९७३ ५. श्री जैन-आनंद पुस्तकालय
सुरत वि. स. १९७५ ६. सेठ नगीनभाई मछुभाई जैन साहित्योद्धार फंड सुरत वि. स. १९८६ ७. श्री जैन आनंद ज्ञानमंदिर बामनगर वि. सं. १९९२ ८. श्री मानदसागरसूरीश्वरजी पाठशाला सुरत वि. सं. २००२ ९. श्री जैन पुस्तक प्रचारक संस्था सुरत बि. सं. २००५
तीर्थयात्राके छहरी' पालते हुए भव्य संघ वि. सं. १९६५ बंबई से अंतरीक्ष-पार्श्वनाथ सुरत निवासी
स्व. संघवी अमेचंद स्वरूपचंद की ओर से वि. सं. १९७१ पाटन से भीलडीयाजी वि. स. १९७६ सुरत से पालीताणा (सिद्धाचलजी) सुरत निवासी
. स्व. संघवी जीवनचंद नवलचंद की ओर से। वि. स. १९९४ जामनगर से रैवतगिरि तथा सिद्धाचलगिरि।
जामनगर निवासी स्व. संघवी पोपटलाल धारसीमाई तथा स्व. संघवी चुनीलाल लक्ष्मीचंद की मार से।