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नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं
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| स्वाध्यायी-वर्ग में लोकप्रियता अर्जित की है। इसका ४५ वां अंक 'जैनागम-विशेषाङ्क' सर्वत्र समादृत हुआ है। (३) साहित्य प्रकाशन • आचार्यप्रवर पूज्य श्री हस्तीमलजी म.सा. का सत्साहित्य के स्वाध्याय पर विशेष | बल था । सत्साहित्य मनुष्य का सच्चा मार्गदर्शक होता है । वह मनुष्य को बाहरी चकाचौंध, विषम वासनाओं एवं | आसक्ति से दूर रखकर समता, शान्ति एवं आत्म बल का संचार करता है। इसी लक्ष्य से सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल द्वारा साहित्य का प्रकाशन किया जाता है।
मण्डल द्वारा प्रकाशित साहित्य में प्रमुख - उत्तराध्ययन सूत्र (संस्कृत छाया, हिन्दी - विवेचन एवं पद्यानुवाद | सहित)- तीन भाग, दशवैकालिक सूत्र (संस्कृत छाया, हिन्दी - विवेचन एवं पद्यानुवाद सहित), अंतगडदसा सूत्र, आध्यात्मिक आलोक, गजेन्द्र व्याख्यान माला भाग १-७, उपमिति भवप्रपंच कथा, अहिंसा : विचार और व्यवहार, अपरिग्रह : विचार और व्यवहार, जैनागम के स्तोक रत्न, जैनदर्शन आधुनिक दृष्टि, जैन आचार्य चरितावली, | सम्यग्दर्शन : शास्त्र और व्यवहार, निर्ग्रन्थ भजनावली, रत्नवंश के धर्माचार्य, पथ की रुकावटें जैन तमिल साहित्य और तिरुकुरल, पर्युषण पर्वाराधन, सकारात्मक अहिंसा, व्रत- प्रवचन संग्रह, हीरा प्रवचन - पीयूष आदि । जैन धर्म का मौलिक | इतिहास के चारों भागों का भी प्रकाशन अब मण्डल द्वारा किया जा रहा है।
सम्यग्ज्ञान प्रचारक मंडल द्वारा प्रकाशित साहित्य की आजीवन सदस्यता राशि मात्र १००० रुपये है।
(४) जैन सिद्धान्त शिक्षण संस्थान, जयपुर का संचालन जैन विद्या के विद्वान् तैयार करने की दृष्टि | से यह संस्था सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल के द्वारा जयपुर में संचालित है, जिसमें आवास एवं भोजन की निःशुल्क | व्यवस्था है तथा धार्मिक व शास्त्रीय अध्ययन के साथ विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के व्यावहारिक शिक्षण का भी प्रावधान है। (विशेष परिचय अलग से दिया गया है)
(५) श्री स्थानकवासी जैन स्वाध्याय संघ का संचालन सन्त सतियों के चातुर्मास से वंचित क्षेत्रों में स्वाध्यायी भेजकर पर्युषण पर्वाराधन कराने का महत्त्वपूर्ण कार्य स्वाध्याय संघ द्वारा संचालित किया जाता है । विभिन्न प्रकार के शिविरों एवं प्रचार-प्रसार कार्यक्रम के माध्यम से स्वाध्याय की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित किया जाता | है। सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल की यह एक प्रमुख प्रवृत्ति है। (विशेष परिचय अलग से दिया गया है)
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(६) आचार्य श्री हस्ती - स्मृति-सम्मान आदि तीन सम्मान मण्डल द्वारा तीन प्रकार के सम्मान प्रतिवर्ष दिये जाते हैं ।
(अ) आचार्य श्री हस्ती-स्मृति-सम्मान - यह विद्वानों को उनकी श्रेष्ठकृति के आधार पर दिया जाता है । (ब) विशिष्ट स्वाध्यायी सम्मान- यह सम्मान प्रतिवर्ष एक विशिष्ट स्वाध्यायी को दिया जाता
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(स) युवा प्रतिभा शोध - साधना सेवा सम्मान यह सम्मान शोध, साधना एवं सेवा के क्षेत्र में प्रतिभाशाली युवा | | को प्रदान किया जाता है।
सम्मान के लिए नामों का चयन निर्णायक मण्डल द्वारा किया जाता है। आचार्य श्री हस्ती स्मृति सम्मान के मुख्य निर्णायक प्रोफेसर कल्याणमल जी लोढा हैं ।
सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल के विकास में न्यायमूर्ति स्व. श्री इन्द्रनाथ जी मोदी, स्व. श्री सिरहमलजी बम्ब, | न्यायमूर्ति स्व. श्री सोहननाथ जी मोदी, स्व. श्री श्रीचन्दजी गोलेछा, स्व. श्री उमरावमलजी ढड्डा, श्री नथमलजी हीरावत, श्री डी. आर. मेहता, डॉ. सम्पतसिंह जी भाण्डावत, श्री मोफतराज जी मुणोत, स्व. श्री सिरहमलजी नवलखा, श्री