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________________ पंचम खण्ड: परिशिष्ट विशेष धार्मिक प्रेरणा फूंकी है। आप निष्ठापूर्वक जिनशासन सेवा में समर्पित हैं । महासती श्री सूरजकंवर जी म.सा. आपका जन्म नागौर जिले के सुरसरो गांव में वि.सं. १९६६ की चैत्र शुक्ला पंचमी को हुआ। आपके पिता श्री शुभकरणजी सोनी तथा माता श्रीमती जड़ावबाईजी थीं । ८२९ आपका विवाह श्री मोहनलाल जी सुराणा के साथ हुआ । आपके पति का स्वर्गवास हो जाने से आपको संसार से विरक्ति हो गयी । आपने प्रवर्तिनी महासती श्री सुन्दरकँवरजी म.सा. की निश्रा में वि.सं. २०२९ माघ शुक्ला त्रयोदशी को भागवती दीक्षा अंगीकार की। आप 'भखरी वाले' महाराज के नाम प्रसिद्ध थीं । आपने वि.सं. २०५६ कार्तिक शुक्ला नवमी दिनाङ्क १७ नवम्बर १९९९ को सांय ५.५० बजे अजमेर में सागारी संथारा ग्रहण किया तथा इसी रात्रि को ७.२५ बजे यावज्जीवन चौविहार त्याग रूप संथारा के प्रत्याख्यान | ग्रहण कर लिये । ११ दिन तक आपका संथारा पूर्ण चेतन अवस्था में चला। अन्त में वि.सं. २०५६ मार्गशीर्ष कृष्णा |पंचमी, शनिवार २७ नवम्बर १९९९ को प्रात: १०.१५ पर समाधिमरण को प्राप्त हुए । महासती श्री सरलकंवर जी म.सा. आपके पिता श्री फूलचन्दजी लूंकड तथा माता श्रीमती मगनबाईजी थीं। माता-पिता ने आपका नाम सज्जन | कंवर जी रखा। आपका विवाह श्री मगराज जी खिंवसरा जोधपुर के साथ सम्पन्न हुआ। पति के निधन से आपको संसार से विरक्ति हो गयी। आपने वि.सं. २०३३ चैत्र शुक्ला नवमी गुरुवार दिनाङ्क ८ अप्रेल १९७६ को महासती श्री शान्तिकंवर जी | म.सा. की निश्रा में भोपालगढ में भागवती दीक्षा ग्रहण की। वि.सं. २०४२ के अजमेर चातुर्मास में आपने मासखमण की दीर्घ तपस्या की । वि.सं. २०४५ प्रथम ज्येष्ठ शुक्ला पूर्णिमा मंगलवार ३१ मई १९८८ को नागौर में ६ घण्टे के संथारापूर्वक | समाधिमरण को प्राप्त हुए । महासती श्री सौभाग्यवती जी म.सा. • व्याख्यात्री महासती श्री सौभाग्यवतीजी म.सा. का जन्म जोधपुर जिले के भोपालगढ कस्बे में विक्रम संवत् २०१४ की वैशाख शुक्ला तृतीया को हुआ। आपके पिता सुश्रावक श्री मुकनचन्दजी कांकरिया थे तथा माता सुश्राविका श्रीमती गुटियाबाई हैं । आपने वि.सं. २०३३ चैत्र शुक्ला नवमी, गुरुवार को भोपालगढ में प्रवर्तिनी महासती श्री बदनकंवर जी म.सा. की निश्रा में भागवती दीक्षा अंगीकार की। दीक्षा के पूर्व आपका नाम सोहनकंवर था, दीक्षोपरान्त आपका नाम 'महासती श्री सौभाग्यवतीजी' रखा गया। किन्तु आपको अनेक श्रद्धालु सोहनकंवरजी । दीक्षित होकर आपने आगम-शास्त्रों, थोकड़ों एवं संस्कृत भाषा का गहन अध्ययन म.सा. के नाम से ही जानते किया। घोड़ों का चौक स्थानक में अनेक वर्ष रहकर आपने अपनी गुरुणी जी प्रवर्तिनी श्री बदनकंवरजी म.सा. की खूब सेवा की। पावटा स्थानक में प्रवर्तिनी महासती श्री लाडकँवर जी म.सा. की सेवा में आप अहर्निश संलग्न रहीं । आपके ओजस्वी एवं धारा प्रवाह प्रवचन बड़े ही प्रभावशाली होते हैं। आपकी वाणी में गांभीर्य एवं माधुर्य
SR No.032385
Book TitleNamo Purisavaragandh Hatthinam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain and Others
PublisherAkhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
Publication Year2003
Total Pages960
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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