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नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं धन्य धन्य है कल्प तरुवर को ॥४॥ सामायिक पाठ पढाते हैं, स्वाध्याय संदेश सुनाते हैं ।
महती करुणा के सागर को ॥५॥ श्री लक्ष्मी माणक ज्ञानी हैं, अनमोल हीरा व्याख्यानी हैं ।
सब पूज्य संत अरु सतीवर को ॥६॥ हम ग्राम नगर से आये हैं, दर्शन कर सुख पाये हैं ।
पावन कर दो हमारे पुर को ॥७॥
(३२) पूज्य हस्ती मुनि गुण गाओ (५५ वीं जन्म - जयन्ती पर श्री हीरामुनिजी द्वारा रचित)
(तर्ज - यह पर्व पर्युषण आया....) पूज्य हस्ती मुनि गुण गाओ, यह जन्म जयन्ति मनाओ जी ॥टेर ॥ लघु वय में कारज सारया , अजमेर बण्या अणगारा।
रूपा नन्द ने नित्य ध्याओ जी ॥१॥ जोधाणे पूज्य पद पायो, संघ चारों के मन भायो।
गणिवर बन धर्म दीपायो जी ॥२॥ है जप तप मांही शूरा, आचार निष्ठ गम्भीरा।
___ वन्दन कर कर्म खपाओ जी ॥३॥ शुद्ध मन से पूज्य गुण गाओ, दिन उगत ध्यान लगाओ।
शान्ति अरु समता पाओ जी ॥४॥ जो चरण शरण में आवे, दुःख शोक रोग मिट जावे।
__ पगरज भी गर पाओ जी ॥५॥ स्वाध्याय सामायिक कीजे, मुक्ति का मार्ग ग्रहीजे।
जीवन में धर्म कमाओ जी ॥६॥ सेवक ने महिमा गाई, तप- त्याग करो भाई बाई।।
कर्मों का फंद छुड़ाओ जी ॥७॥