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नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं श्री पूज्य राज आप जहाँ कहीं जाते हैं, जंगल में मंगल का दरश दिखाते हैं जहाँ कहीं सुनो आज कीर्ति महान है॥४॥परम ॥ चारों संघ मिल आज विनति सुना रहा ज्ञान के प्रकाश हेतु दिल तड़फा रहा आशीर्वाद मिले स्वामी होवे कल्याण है ॥५ ॥परम ॥
(२९) श्रद्धा के सुमन
(तर्ज -महावीर तुम्हारे चरणों में) आचार्य पूज्य के चरणों में श्रद्धा के कुसुम चढ़ायें हम । आदर्श आपके अनुपम से, अब जीवन सफल बनायें हम ॥टेर ॥ गुरु पंच महाव्रत धारी हैं, अरु पंचाचार विहारी हैं । पंच समिति त्रिगुप्ति धारी हैं, वंदन विधिवत् कर पायें हम ॥१॥ धन्य बाल ब्रह्मचारी ज्ञानी, तप मौन साधना महाध्यानी । जिन धर्म के रसिया अगवानी, नहीं वर्णन गुण कर पायें हम ॥२॥ 'केवल' के नन्द दुलारे हो, शिव पथ के आप सितारे हो ।। सती रूप कंवर के लाल हस्ती, जय विजय आपकी गायें हम ॥३॥ ओ रत्न वंश शासक नायक, ओ धर्म धुरन्धर निर्यामक । आतम गुण में अहनिश रमते, यह भाव वंदना करते हम ॥४॥ उपदेशामृत जो धारेंगे, भवसागर से तिर जायेंगे । नरकादि दुःख नहीं पायेंगे, शिव साधक समकित पायें हम ॥५॥ स्वाध्याय करो गुरुराज सदा, कहते भव बन्धन कट जायें । कहे ‘राज मल्ल' इस जीवन में, शासन सेवा कर पायें हम ॥६॥
(३०) जैन जगत के तारे
(तर्ज - रिमझिम बरसे बादरवा....) चम चम चमके भारत में, जैन जगत के तारे। गुरु हस्तीमल्ल जी प्यारे, गुरु हस्तीमल्ल जी प्यारे ॥टेर ॥