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पोरवाल क्षेत्र पर असीम कृपा
. श्री रामदयाल जैन सर्राफ आचार्य भगवंत पूज्य श्री हस्तीमलजी म.सा. का पोरवाल क्षेत्र पर असीम उपकार है। आचार्य भगवंत का पदार्पण दो बार इन क्षेत्रों में हुआ। इस क्षेत्र की दयनीय स्थिति थी। आहार की अनुकूलता नहीं थी, प्रतिक्रमण के जानकार बहुत ही कम थे। अध्यापकों की संख्या अधिक थी । दीर्घद्रष्टा आचार्यप्रवर ने अध्यापकों का उपयोग स्वाध्याय क्षेत्र में हो, ऐसा चिंतन कर सामायिक-स्वाध्याय की प्रेरणा की। अनेक स्वाध्यायी तैयार हुए। पौष शुक्ला १४ सन् १९६८ को श्यामपुरा (धर्मपुरी) में आचार्य भगवन्त के सान्निध्य में श्री श्वे. स्था. जैन स्वाध्याय संघ जोधपुर की शाखा सवाईमाधोपुर का शुभारंभ श्री चौथमलजी जैन (अध्यापक) के संयोजकत्व में हुआ। तब से अनेक स्वाध्यायी पर्युषण सेवा में जाने लगे। आचार्य भगवन्त ने अनेक परीषहों को सहन करते हुए सामायिक-स्वाध्याय का शंखनाद गुंजाया।
आचार्य भगवन्त के चरण कमल पल्लीवाल क्षेत्र को पावन कर रहे थे, उस समय गंगापुर सिटी में होली चातुर्मासिक पर्व पर श्री संघ, सवाई माधोपुर ने १९७४ के वर्षावास की भावभीनी विनति प्रस्तुत की। आचार्य भगवंत ने दूरदर्शिता से विचार कर १०१ स्वाध्यायी तैयार करने की शर्त के साथ चातुर्मास की स्वीकृति के भाव फरमाये । संघ ने आचार्य भगवन्त की प्रेरणाओं को सहर्ष स्वीकार किया, अन्तत: चातुर्मास का सुयोग सवाईमाधोपुर को मिल गया। वह चातुर्मास अभूतपूर्व था जिसमें १०१ से भी अधिक प्रतिक्रमण वाले तैयार हुए एवं अनेक स्वाध्यायी पर्युषण में सेवा देने गए। इस चातुर्मास से सवाईमाधोपुर पोरवाल क्षेत्र की ख्याति बढ़ी। स्थान-स्थान पर सामायिक, स्वाध्याय होने लगे। खुशहाली भी बढ़ने लगी। वर्षीतप के अधिकतम पारणे सवाईमाधोपुर क्षेत्र में हुए।
__ आचार्य भगवन्त की इस क्षेत्र पर महती कृपा रही। सन् १९८८ में चातुर्मास के लिए राजधानी जयपुर के महावीर नगर के लिए पुरजोर विनती थी, क्योंकि भगवन्त का स्वास्थ्य निर्बल था, विहार करने में बड़ी कठिनाई थी। स्थिरवास के लिए भी संघ ने निवेदन किया। किन्तु आचार्य भगवन्त ने इस क्षेत्र पर महान् कृपा कर सवाई माधोपुर शहर की विनति को सम्मान देकर १९८८ का चातुर्मास स्वीकार किया। चिकित्सकों ने विहार के लिये पूरी तरह से मना कर दिया था, किन्तु आचार्य भगवन्त की कृपा इस क्षेत्र पर पूरी-पूरी थी। दो संतों के हाथ के सहारे भगवन्त ने जयपुर से सवाईमाधोपुर की ओर भीषण गर्मी में विहार किया। वह दृश्य देखने का सौभाग्य मुझे भी मिला। अनेकानेक परीषहों को सहन करते हुए आचार्य भगवन्त का सवाईमाधोपुर का १९८८ का द्वितीय चातुर्मास धर्मध्यान एवं अनेकानेक उपलब्धियों के साथ सम्पन्न हुआ।
यह हमारा तथा हमारे क्षेत्र का परम सौभाग्य रहा जो हमें ऐसे महान् परोपकारी दीर्घद्रष्टा आचार्य भगवन्त का गुरु रूप में सान्निध्य प्राप्त हुआ। आचार्य भगवन्त जिनका मेरे जीवन पर अनंत-अनंत उपकार है, पुन: गुण स्मरण करता हूँ।
-सर्राफा बाजार, सवाई माधोपुर