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नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं ___ वे आध्यात्मिक सन्त थे। यौवन काल में 'मेरे अन्तर भया प्रकाश', 'मैं हूँ उस नगरी का भूप' आदि आध्यात्मिक पदों की रचना उनकी आध्यात्मिक उन्नयन की अन्त: रुचि को प्रकट करती है। गुरुदेव समाज एवं व्यक्तियों को प्रेरणा देने के साथ आत्म-साधना के प्रति भी सदैव जागरूक रहे । उनसे सबको सहज प्रेरणा मिलती थी। गुरुदेव के प्रवचन भी बहुत प्रभावी एवं प्रेरणाप्रद होते थे। गुरुदेव के प्रति श्रद्धा से लोगों का आत्मबल बढ़ा एवं जीवन में आगे बढ़ने को उद्यत हुए । गुरुदेव का स्मरण मेरे जीवन में नवीन - स्फुरणा एवं प्रेरणा प्रदान करता
२०७०, हीरावत भवन, बारह गणगौर का रास्ता, जयपुर