________________
शुभाशीर्वाद
शब्द-शिल्पी डॉ. कुमारपाल देसाई को सन् 2004 के गणतन्त्र दिन के अवसर पर पद्मश्री खिताब दिया है यह जैन समाज के लिए बड़ी प्रसन्नता की बात है। योग्य व्यक्ति का योग्य सन्मान करना यह हमारे भारत वर्ष की अपनी पारंपरिक पहचान है।
डॉ. देसाई जैन धर्म के देश-विदेश में प्रख्यात अच्छे चिन्तक, लेखक और प्रवक्ता है । जैन चरित्र कथानकों को रसप्रद शैली में आलेखन करना, प्रेरक कथाओं की पुस्तकें लिखना, विदेशों में धर्म प्रचार, साहित्य के क्षेत्र में योगदान इत्यादि प्रवृत्ति करते रहे हैं । जैन इतिहास की महत्त्वपूर्ण घटनाओं के सुन्दर लेख समाचार पत्रों में सुबोध व सरल संस्कारी भाषा में रोचक शैली द्वारा प्रस्तुत करने का तरीका अनुमोदनीय है। खास कर अंग्रेजी में श्रमण भगवान महावीर प्रभु के जीवन पर लिखा ग्रन्थ वास्तव में डॉ. देसाई के गहरे अध्ययन और परिश्रम का परिचय देता है। नपे तुले शब्दों में प्रवचन देने की पद्धति भी एक ओर उनकी विशेषता है।
यह एक योगानुयोग ही कहा जायेगा कि पूज्यपाद योगनिष्ठ 108 अमर ग्रन्थ प्रणेता आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी महाराज के स्मारक ग्रन्थ लिखने का लाभ इनके पिताश्री को मिला था तो परम पूज्य महान गच्छाधिपति आचार्य श्रीमत् कैलाससागरसूरीश्वरजी महाराज का पवित्र जीवन चरित्र लिखने का लाभ डॉ. देसाईजी को मिला। ये दोनों चरित्र-ग्रन्थ वाचकों को प्रेरणा देते हैं और जिनशासन के साधु भगवन्तों पर अहोभाव पैदा करते हैं। ___आपके द्वारा गुर्जर साहित्य सर्जन आदि द्वारा सुन्दर आलेखन होते रहें ऐसा इस अवसर पर मेरा शुभाशीर्वाद है।
आचार्य पद्मसागरसूरि
134