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________________ ( २१ ) व नीति के अतिरिक्त नाना प्रकार की कलाओं और विज्ञान एवं राजनीति का भी परिचय विस्तार से किया गया है । जैन पुराणों की कथावस्तु रामायण, महाभारत तथा तिरेसठ शलाका पुरुषों के जीवन चरित के आधार पर निरूपित है । इसके अलावा उसमे अन्य धार्मिक पुरुषों के जीवन चरित्र भी वर्णित हैं। जैन इतिहास के अनुसार इन जीवन चरित्रों का आदि स्रोत जैन परम्परा में ही ढूंढ़ने का प्रयास किया गया है । इनका उद्गम जैनागमों, भाष्यों और प्राचीन पुराणों में मिलता है। जैन पुराणों में धर्म प्रधान माना गया है। जैन विद्वानों ने इस बात पर बल दिया है कि कर्म प्रधान है, और क्रमानुसार लोगों को उसका फल प्राप्त होता है । जैन पुराणों में जहाँ पर एक और मूल कथा मिलती है, वहीं पर दूसरी ओर कथाओं को आगे बढ़ाने एवं उपदेश को समझाने के लिए अवान्तर कथाओं का भी वर्णन किया गया है । 1 जैन पुराणों की भाषा सीधी एवं सरल है । क्योंकि ये पुराण जनसाधारण को ध्यान में रखकर बनाये गए थे, जिससे इनको सभी जन पढ़ एवं समझ सकें । जैन पुराणों में पौराणिक शैली तथा काव्यात्मक शैली का ऐसा संमिश्रण हो गया है जो कि पारम्परिक पुराणों में बहुत कम दृष्टिगोचर होता है । इन पुराणों में अलौकिक तथा अप्राकृतिक तत्त्वों की प्रधानता नहीं है। जैन पुराणों में लोक, देश, नगर, राज्य, तीर्थ, दान, तप, गति तथा फल ये आठ पुराण के विषय बताये हैं । ' जैन पुराणों में सामान्य रूप से सभी विशेषताएँ मिलती हैं । इनमें प्रारम्भ में तीन लोक, कालचक्र तथा कुलकरों का प्रादुर्भाव वर्णित है | तदनन्तर जम्बूद्वीप' और भारतक्षेत्र में वंश विस्तार करके वहां पर १. हरिबंश पुराण : आचार्य जिनसेन अनु० प० पन्नालाल जैन, काशी, भारतीय ज्ञानपीठ, १६१६, १/७१-७२, महा० पु०४ / १३. २. जम्बू द्वीप : - जैन मान्यतानुसार एक लाख योजन लम्बाई, चौड़ाई वाला जम्बूद्वीप होता है । उसके चारों तरफ लवण समुद्र होता है । उसके बीच में मेरू पर्वत होता है । मेरू पर्वत के दक्षिण में भारतवर्ष होता है, जिसमें कि हम रहते हैं । नोट : विशेष जानकारी के लिए देखिए, सम्पा० नित्यानंद विजयजी : वृहद क्षेत्र समास भाग १, खम्भात ताराचंद, अम्बालाल, माणक चौक, १९७८.
SR No.032350
Book TitleBharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhu Smitashreeji
PublisherDurgadevi Nahta Charity Trust
Publication Year1991
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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