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________________ (२०५) नायक, तीक्ष्ण व अन्य गुप्तचर तथा दोनों ओर से वेतन पाने वाले गुप्तंचरों द्वारा शत्रु की सेना में परस्पर एक दूसरे के प्रति सन्देह या तिरस्कार उत्पन्न कराके भेद डालने को भेदनीति कहते हैं। दण्डनीति : यह नीति सबसे निकृष्ट मानी गयी है। अन्य उपायों के निष्फल हो जाने पर इसका प्रयोग किया जाता था। इसका प्रयोग करने से पूर्व अपने सामर्थ्य का पूर्णतः ज्ञान होना आवश्यक है। कौटिल्य ने दण्ड का प्रयोग शक्तिशाली राजा के विरुद्ध करने का परामर्श दिया है। क्योंकि यूद्ध की धमकी प्रतिष्ठा-हानि के प्रति सशंक शक्तिशाली राजा के प्रति कारगर उपाय सिद्ध हो सकती है। युद्ध की धमकी व्यर्थ होने की स्थिति में वास्तविक युद्ध ही एकमात्र विकल्प रह जाता है। वास्तव में साम, दाम, भेद यह तीनों नीतिताँ असफल हों जायें तब ही शत्रु को आक्रमण का तथा उसके राज्य को विध्वंश कर देने का भय दिखाना चाहिए। इस प्रकार साम-दामदि चार उपाय एवं संधि-विग्रहादि षाडगुण्य राजशास्त्र के महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त हैं । इसके समुचित प्रयोग से राज्य की स्थिति सुदृढ़ बनी रह सकती है। जिस प्रकार प्रजा में संतोष के लिए एवं राज्य में सुख एवं समृद्धि के लिए सुशासन आवश्यक है उसी प्रकार वैदेशिक सम्बन्धों को अनुकूल बनाने के लिए, अपने राज्य की सुरक्षा के लिए न नीतियों का प्रयोग बहुत आवश्यक समझा गया है। २. को० अर्थशास्त्र ७/१६.
SR No.032350
Book TitleBharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhu Smitashreeji
PublisherDurgadevi Nahta Charity Trust
Publication Year1991
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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