SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 218
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २०४ ) चार मूल तत्त्वों की विवेचना की गयी है। शत्रु राजा को व प्रतिकूल व्यक्ति को वश में करने के लिए चार उपाय साम, दाम, भेद व दण्ड हैं।' आचार्य सोमदेव तथा अन्य जैनेत्तर साक्ष्यों में भी चार तत्त्वों ( उपायों) का वर्णन है। सामनीति : किसी पक्ष को मित्र बनाकर या मिलाकर काम करना ही सामनीति कहलाती है। दूसरे शब्दों में ऐसे भी कह सकते हैं कि अपनी नीति को कार्यान्वित करने के लिए जब अन्य राजाओं के साथ बातचीत करके तथा समझा बुझाकर उसे अपने अनुसार कार्य करने के लिए तैयार किया जाता है, तो वह तरीका साम-नीति कहलाता है। बामनीति : जब बातचीत व अनुनय-विनय से काम न चल सके तब प्रलोभन का सहारा लिया जाता है । अर्थात् लोभी व्यक्ति को धनादि देकर वश में किया जाता हैं और फिर उससे कार्य कराया जाता है। इस नीति का प्रयोग ऐसी परिस्थिति में ही करना चाहिए, जब प्रथम नीति से काम न बने और यह निश्चय हो जाये कि युद्ध से दोनों राज्यों की हानि होगी तथा दूसरा राज्य अपने से अधिक शक्तिशाली है जिस पर आक्रमण करके दबाया नहीं जा सकता है। ऐसी परिस्थिति में शत्रु राज्य को थोड़ा धन आदि भेंट स्वरूप देकर अपने पक्ष में कर लेना हितकारक होता है। भेदनीति : ___इस उपाय का प्रयोग शत्र को कमजोर बनाने के लिए किया जाता हैं। 'फट डालो और शासन करो' की नीति को 'भेद' कहते हैं। इस नीति के द्वारा शत्रु को आपस में लड़ाकर सफलता प्राप्त की जा सकती है । भेद के प्रयोग में उचित तथा अनुचित साधनों का समावेश होता है। आचार्य सोमदेव ने इसकी परिभाषा करते हुए लिखा है कि विजिगीषु अपने सेना १. महा पु० ८/२५३. २. नीतिवाक्यामृत में राजनीति पृ० १६२ मनु० ७/१०६, याज्ञवल्क्य १/३४६, शुक्र ४/१/७७.
SR No.032350
Book TitleBharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhu Smitashreeji
PublisherDurgadevi Nahta Charity Trust
Publication Year1991
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy