SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 181
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१६७) आवश्यक चूर्णी में उल्लेख मिलता है कि एक बार दो सेठों की. कन्यायें स्नान करने गई हुई थी। उनमें से एक कन्या दूसरी कन्या के कीमती आभूषण लेकर चम्पत (भाग) हो गई। मामला राजदरबार में पहुंचा लेकिन कोई गवाह तैयार नहीं हुआ । अंत में दास चेटियों को बुलाकर मुकदमे का फैसला दिया गया।' इस वाक्य से तथा इस उदाहरण से यह ज्ञात होता है कि मुकदमा का फैसला दासचेटियों की सहायता से भी होता था । कभी-कभी साधारण सी बात पर भी झगड़ा हो जाता था, और लोग मुकदमा लेकर राजकूल में उपस्थित हो जाते। एक बार करकड और किसी ब्राह्मण में एक बांस के डंडे के ऊपर झगड़ा हो गया। दोनों कारणिक (न्यायाधीश) के पास गये । बांस करकंडु के स्मशानमें उगा था, इसलिए वह उसी को ही दे दिया गया। प्राचीन जैन ग्रंथों के अनुसार कभी-कभी जैन भ्रमणों को भी राजकुल में उपस्थित होना पड़ता था। आवश्यक चूर्णी में उल्लेख है कि जब वज्रस्वामी छः महीने के ही थे तभी जैन श्रमण उन्हें दीक्षा देने के लिए ले गये । वज्रस्वामी की माता सुनन्दा ने जैन श्रमणों के विरुद्ध राजकुल में मुकदमा कर दिया। जैन श्रमणों को इस समय राजकुल में उपस्थित होना पड़ा। न्याय करते समय राजा पूर्व दिशा में, जैन संघ के सदस्य दक्षिण दिशा में तथा वज्रस्वामी के सगे सम्बन्धी राजा की बायीं ओर बैठे। उस समय सारा नगर सुनंदा की तरफ था। सूनन्दा ने खिलौने आदि दिखलाकर वज्रस्वामी को अपनी ओर आकर्षित करना चाहा. लेकिन फिर भी बालक उसके पास नहीं आया। इसके पश्चात जैन श्रमणों की बारी आई। इस समय पहले से ही श्रमण धर्म में दीक्षित वज्रस्वामी के पिता ने-जो कि जैन श्रमणों की ओर से मुकदमे की पैरवी कर रहे थे, बालक को बुलाया और रजोहरण लेने को कहा । बालक ने अपने पिता १. आ० चू० पृ ११६. २. उत्तराध्ययन टीका ६.
SR No.032350
Book TitleBharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhu Smitashreeji
PublisherDurgadevi Nahta Charity Trust
Publication Year1991
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy