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________________ (१६१) आकार की सेंध लगाई जाती थी। चोर उनके अन्दर से घर में प्रवेश करते थे। एक बार किसी चोर ने सेंध लगाकर उसमें से घर में प्रवेश करना चाहा। वह पांवों के बल अन्दर घुसा ही था कि मकान मालिक ने उसके पांव पकड़ कर खींच लिए। इधर से उसके साथियों ने उसका सिर पकड़कर खींचना आरम्भ किया। इतने में ही कपिशीर्ष के आकार की सेंध टूट कर गिर पड़ी, और चोर उसी में दबकर मर गया।' चोर पानी की मशक और तलोदपाटिनी विछा आदि उपकरणों से सज्जित हो प्रायः रात्रि के समय अपने दलबल के सहित चोरी करने निकलते थे। मृच्छकटिक में पद्मव्याकोश, भास्कर, बालचन्द्र, वापी, विस्तीर्ण, स्वस्तिक और पूर्णकुम्भ नामक सेंधों का उल्लेख है। भगवान कनक शक्ति के आदेशानुसार यदि पक्की ईटों का मकान हो तो ईंटों को खींचकर, कच्ची ईटों का मकान हो तो तोड़कर, मिट्टी की ईंटों का हो तो ईंटों को गीला कर तथा लकड़ी का मकान हो तो चीरकर सेंध लगाई जाती थी। भास के चारुदत्त नाटक में सिंहाक्रान्त पूर्णचन्द्र, भाषास्य, चन्द्रार्थ, व्याघ्रवस्त्र, और त्रिकोण आकार की सेंधे बतायी गयी हैं। जातक ग्रन्थों में कहा गया है कि सेंध इस प्रकार लगानी चाहिए जिससे बिना किसी रुकावट के घर में प्रवेश किया जा सके। (३) चोरों के पाख्यान : जैनागम पुराणों में चोरों की अनेक ऐसी कथाएँ आती हैं जो कि अपनी बुद्धि का इस प्रकार उपयोग करते थे जिससे कि वह किसी की पकड़ में नहीं आते थे। चोरों की बुद्धि बहुत तेज होती थी। बेन्यातट नगर में मण्डित नाम का एक चोर रहता था। वह रात को चोरी करता था और दिन में दर्जी का काम करके अपनी आजीविका चलाता था। वह अपनी बहन के साथ किसी उद्यान के भूमिगृह में रहता था। इस भूमिगृह में एक कुआं था। जो कोई व्यक्ति चोरी का माल यहाँ ढोकर लाता, उसे पहले तो १. उत्तराध्ययन ४. २. जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज पृ० ७४ ३. जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज पृ० ७३ - ४. वही
SR No.032350
Book TitleBharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhu Smitashreeji
PublisherDurgadevi Nahta Charity Trust
Publication Year1991
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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