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________________ कनेर के फूलों की माला गले में डाल, उसे अपने ही शरीर का मांस खिलाते हुए, खोखरे बांस से ताड़ना करते हुए, उसे वध्य स्थान को ले गये। सगड़ और सुदर्शना वेश्या को भी कठोर दण्ड का भागी होना पड़ा । सुदर्शना राजा के मंत्री की रखैल थी, और सर्गड़ उसके यहाँ छिप. कर जाया करता था। पकड़े जाने पर राजा ने दोनों को मृत्यु-दण्ड की आदेश दिया। पोदनपुर के कमठ का अपने भ्राता की पत्नी के साथ अनुचित सम्बन्ध हो जाने के कारण उसे मिट्टी के सकोरे की माला पहना, गधे पर बैठा, सारे नगर में घुमाकर निर्वासित कर दिया गया। ब्राह्मणों को दण्ड देते समय सोच-विचार से काम लिया जाता था। व्यवहार भाष्य में एक ब्राह्मण की कथा आती है जिसे किसी चांडाली के साथ व्यभिचार करने पर, केवल वेदों का स्पर्श कराकर छोड़ दिया गया। चोरी और व्यभिचार की भांति हत्या भी महान् अपराध गिना जाता था। हत्या करने वाले अर्थदण्ड (जुर्मानी) और मृत्युदण्ड के भागी होते थे। बहत्कल्पभाष्य में उल्लेख है कि पुरुष के लिए तलवार उठाने पर ८० हजार जुर्माना किया जाता, प्रहार करने पर मृत्यु न हो तो भिन्नभिन्न देशों की प्रथा के अनुसार जुर्माना देना पड़ता तथा यदि मृत्यु ही जाये तो भी हत्यारे को ८० हजार दण्ड भरना पड़ता। मथरा के नंदिषेण नामक राजकुमार ने अपने पिता की मृत्यु करने के लिए राजा के नाई के साथ मिल कर राजा की हत्या का षडयंत्र रचा, १. विपाकसूत्र २, यामवल्पयस्मृति ३.५२ ३२ आदि, मनुस्मृति ८/३७२ मादि । २. विपाक सूत्र ४. ३. उत्तराष्पयन टीका २३. ४. व्यवहारभाष्य पीठिका गा० १७, पृ० १० ५. वृहत्कल्प भाष्य ४, ५१०४.
SR No.032350
Book TitleBharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhu Smitashreeji
PublisherDurgadevi Nahta Charity Trust
Publication Year1991
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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