________________
इस शोध-प्रबन्ध के निर्देशक प्रारम्भ में गुजरात यूनिवर्सिटी के राजनीति शास्त्र विभाग के भूतपूर्व अध्यक्ष स्व० डा० कीर्तिदेव देसाई थे, जो दुर्भाग्यवश इस ग्रन्थ की समाप्ति से पूर्व ही इस लोक से विदा हो गये। जिनका निर्देशन हमेशा ही बना रहा । वर्तमान में इस शोध-प्रबन्ध के ( उसी विभाग के ) निर्देशक डा० प्रवीण भाई सेठ हैं, जिन्होंने कार्य की बहुलता होने पर भी मुझे अपने निर्देशन में शोध कार्य करने की अनुमति प्रदान की। जिनके सहज-स्नेह एवं निर्देशन से प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध का कार्य सम्पूर्ण हुआ है ।
1
विषय-निर्धारण एवं शोध-प्रबन्ध की निर्माण दशा का श्रेय पंडितवयं श्रागमवेत्ता, तत्वान्वेषी, उदारमना, सहजस्वभावी दलसुखभाई मालवणिया को है, जिन्होंने अपना अमूल्य समय देकर मुझे समय-समय पर निर्देशन एवं प्रेरणा प्रदान की है। इनके व्यक्तित्व के लिए जितना भी कहा जायेगा वह अकथनीय ही होगा । ग्रन्थ की समाप्ति तक डा० रमणीक भाई साहब का भी औदार्य पूर्ण एवं सराहनीय सहयोग रहा है।
इस ग्रन्थ को प्रकाशित करने के लिये अर्थ सौजन्य में श्री हरख चन्द जी नाहटा एवं उनके पुत्र भी साधुवाद के पात्र हैं, जिन्होंने अपनी चंचल लक्ष्मी का सदुपयोग ज्ञान की आराधना में लगाया गया है ।
१४-११-८६ दिल्ली
मधुस्मिता श्री