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दिल्ली के तख्त पर खिलजी वश का अलाउद्दीन खूनी बादशाह राज करता था जिसने इस्वीसन् १२९७ में कर्णघेला के पास से गुजरात सर किया वही अलाउदीन बादशाह अपने वृत्तान्त के समय में होगा ऐसे आसपासके संयोग देखने और इतिहास का अवलोकन करने से मालुम होता है । और अपने इस वृत्तान्तमेंभी एक जगह ऐसा सुबूत मिलता हैकि अलाउदीनखिलजी से सन्मानित पूर्ण नामक श्रावक जूनागढ आया हुवा था और अपने वृत्तान्त का नायक पेथडकुमार भी वहां गया था। वहां उनका समागम और वादविवाद हुवाथा इस पर से भी अनुमान हो सकता है कि वही अलाउदीन बादशाह होना चाहिये । ऐसेही गुजरात की गद्दीपरभी भीम बाणावली के वंश परम्परा से अनुक्रम से कर्ण, सिद्धराज, कुमारपाल, भोलाभीम वगेरे हुवे । उस भोले भीमके वक्त में दिल्ली की गद्दी पर पृथ्वीराज चौहान था उसके पास से शाहबुदीनगौरीने राज्य ले लिया। यानि दिल्ली की गद्दी शाहबुदीन के हाथ में आई, उसके पास से तुगलकवंशमें और वहां से खिलजी वंश में गई। अपने वृत्तान्त के समय में खिलजो वंश का अलाउदीन बादशाह था और भोले भीम से अनुक्रम से कालान्तर में गुजरात की गद्दी