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________________ Dt. 19-07-2018 -2018-44 कीर्ति-स्मृति उत्तर : हाँ, वे शांति में हैं। वे तो धर्मनिष्ठ थीं। उनके नाम पर आयंबिल, प्रतिक्रमण या माला फेरने से उन्हें अधिक शांति प्राप्त होगी अतः माला, प्रतिक्रमण करें... | प्र. : अपने अन्तिम क्षणों में मेरे पिताजी पूर्ण नवकार मन्त्र अच्छी तरह से सुन नहीं सके थे, तो आत्मा को शांति है या नहीं ? उत्तर : उनकी आत्मा अंत समय में नवकार सुनने के लिए अत्यन्त व्याकुल है, तड़प रही है । अन्तिम दिनों में ये शान्त एवं धर्मप्रिय बने थे लेकिन पूर्व के क्रोधी संस्कार के कारण उन्हें समकित की प्राप्ति नहीं हुई है, फिर भी बालकों के धार्मिक कार्यों के समय पर उनकी आत्मा उपस्थित रहती है। 'उनके लिए प्रतिदिन एक नवकार की माला करें। माँजी : काका माँबाप की आत्मा की सद्गति हो गई है या नहीं ? उत्तर : उस आत्मा की गति अब तक हुई नहीं है। उनके लिए आपको जो स्थान बनाना है वह बनाकर उनकी वहाँ स्थापना कर के प्रति सोमवार को वहाँ दूध और दीप करें.... 1 कीर्ति देव कहते हैं कि काका-माबाप कल मेरे सपने में आयेंगे। प्रताप : रेपल्ली की चिन्नम्मा माता कौन थीं ? उनकी दशा मुक्तात्मा के समान लगती थी तो क्या उन्हें मुक्ति प्राप्त हो गई है ? उत्तर : वे मल्लीनाथ भगवान की तरह पूर्वजन्म में भ्रष्ट बने हुए साधु थे। अब तक उनकी मुक्ति हुई नहीं है । इस आरे में केवल चार ही मोक्ष हैं । प्र. मैं "क" के साथ के सम्बन्धों को ख़त्म करना चाहता हूँ, उसके लिए कौन-सा मार्ग लिया जाये ? उत्तर : जैन हमेशा शान्तिपूर्वक ही समस्या का निवारण खोजता है, उग्र नहीं बनता । और हमें जीवन में जो मिलता है वह भी हमारे और उनके लेन-देन के सम्बन्धों के कारण ही अतः शान्तिपूर्वक चलना चाहिए । संसारचक्र में रहना हो तो हंसते चेहरे से काम निकाल लेना चाहिए । इतना पूछने के बाद मांजी और मैं रुक गये। कीर्ति ने पूछा अब भी कुछ पूछना हो तो पूछ लीजिए... देव अभी भी यहाँ उपस्थित हैं...। २. १. टोलिया परिवार के एक पूर्वज, जिनकी किसी अपूर्ण इच्छा के कारण सद्गति नहीं हुई है ऐसा माना जाता है । दूसरे दिन दि. २४-१०-५९ की रात को काका- माँबाप कीर्ति को सपने में सर्प के रूप में दिखाई दिये थे (निसर्गोपचार अस्पताल, अमीरपेठ में ) और उन्होंने कहा : "मेरी अब तक सद्गति नहीं हुई है। मैं चाहता हूँ तो मुझे कोई धूनी होने नहीं देता । सब कहते हैं कि तुम्हारा परिचायक चमत्कार बतलाईये, परंतु मैं चमत्कार क्या बतलाऊँ ? अमरेली में टोलिया परिवार में, एक आप के घर के सिवा सुखी कौन है ? और आप के घर के समीप मुझ से बड़ा देवता ( धर्मदेवता) खड़ा है, जो मुझे वहाँ आने नहीं देता। मुझे और कुछ नहीं चाहिये। मेरी छोटी देहरी बनवाकर मुझे मूल स्थान पर बिठाईये और मुझे दूध देकर दीप प्रकटायें, जिससे मैं चला जाउंगा ।" ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ (44)
SR No.032327
Book TitleKarunatma Krantikar Kirti Kumar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherVardhaman Bharati International Foundation
Publication Year
Total Pages54
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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