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________________ Dt.19-07-2018-41 प्र. जैन धर्म के अनेक ग्रन्थ तथा प्राचीन आर्य साहित्य जर्मनी में है ऐसा सुना हैं । तो आपके कथनानुसार अगर जर्मनी जाने का अवसर प्राप्त हो तो जैनधर्म से संबंधित कोई खोजकार्य हो सकेगा? उत्तर : श्रद्धा और परिश्रम किया जाय तो सब कुछ अवश्य होगा। प्र. वर्तमान समय में सभी तीर्थंकरों के जीवनचरित्र उपलब्ध नहीं हैं। यह बताएंगे कि ये कहाँ से और किस प्रकार खोजे जा सकते हैं? ... उत्तर : चरित्र-ग्रन्थ अगर सच्चे, सम्पूर्ण जाहिए तो अगाध परिश्रम करना पड़ेगा । प्राचीन यात्रा- - स्थानों में, बेंग्लूर के पास दिगम्बर क्षेत्रों में तथा शत्रुजय (पालीताणा) के पास ये सब अज्ञात दशा में दबे हुए पड़े हैं। ये ताड़पत्र की पतली पट्टियों में अनेक भाषाओं में लिखे हुए हैं। कठिन परिश्रम के द्वारा ये प्राप्त होंगे। परिश्रम हेतु सिद्धायिका देवी की साधना करें। प्र. संगीत का भक्ति हेतु किस प्रकार उपयोग करना चाहिए? उत्तर : सुन्दर रूप से भक्तिपूर्वक तीर्थंकर का केवल एक स्तवन गाने से भी मनुष्य की आत्मा अत्यंत संतोष प्राप्त करती है और उस स्तवन में तन्मय हो जानेवाला अल्प तपश्चर्या के द्वारा भी कभी कभी मोक्ष पद की प्राप्ति कर लेता है। प्र. : मैं योगसाधना करना चाहता हूँ परन्तु शुद्धरूप से ब्रह्मचर्यपालन नहीं होता है... । उत्तर : आप गृहस्थ बनेंगे और विवाह कर के साधना करेंगे । प्र. : परन्तु मैंने तो पाँच वर्ष पूर्व आजीवन ब्रह्मचर्य का संकल्प किया है। उत्तर : आपने संकल्प किया था परन्तु विधिपूर्वक ब्रह्मचर्य व्रत धारण नहीं किया था, अतः उस विषय में कोई बात नहीं...। प्र. : परन्तु इस विषय का निर्णय श्रद्धेय सन्तजनों पर ही छोड़ दूँ तो उचित होगा? उत्तर : आप पूछेगे तो सन्त तो 'हाँ' या 'ना' कहकर मार्गदर्शन करेंगे । वे कोई पात्र बतायें उसमें भी जैन कुल की कन्या होगी तो घर में थोड़े भी जैन संस्कार ले कर आयेगी... । यह पूरा वार्तालाप सुन रहीं माँजी ने अब बीच में पूछा - "प्रताप के लिए ऐसी कन्या कहाँ से मिलेगी ?" उत्तर : सौराष्ट्र में, हालार प्रदेश में से ।। प्र. : मैं पूरे परिवार को धर्मसाधना की ओर मोड़ना चाहता हूँ, इस के लिए मैं क्या करूँ ? उत्तर : सब को धर्म की ओर मोड़ना मनुष्य के वश में नहीं, स्वयं महावीरस्वामी भी यह न कर सके । आप स्वयं करेंगे तो अन्य लोग भी स्वतः करने लगेंगे । थोड़ा समझायें यही हमारा कर्तव्य है। ... (41)
SR No.032327
Book TitleKarunatma Krantikar Kirti Kumar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherVardhaman Bharati International Foundation
Publication Year
Total Pages54
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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