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* ग्रंथ समर्पण *
'आपका आपको ही समर्पण' '
के भाव से दो वास्तु मार्गदर्शक उपकारकों
कवि-मनीषि वास्तु-शिल्पज्ञ आ.श्री जयंतसेनसूरीश्वरजी
एवं वर्तमान वास्तुविद् श्री गौल तिरूपति रेड्डी
तथा
वास्तु दोषों के निवारण एवं शुद्ध वास्तु ज्ञान संपादन के इच्छुक प्रत्येक जन एवं जैन आराधक आत्माओं को
जैन वास्तुसार