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पर मिट्टी कम हो जाय अर्थात् गड्ढ़ा भरे नहीं तो हीनफल, मिट्टी बढ़ जायें - शेष रहकर बव जायँ तो उत्तमफल एवं गड्ढ़ा ठीक से फुरा जाय, मिट्टी बचे नहीं तो
समानफल समझें। 4. अथवा तो उपर्युक्त चौबीस अंगुल प्रमाण वाले गड्ढे में ठीक से पूर्ण पानी भरना फिर
एक सौ कदम चलकर दूर जा आकर पानी से भरे हुए गड्ढ़े को देखें। अगर गड्ढ़े में तीन अंगुल भर पानी सूख जाय तो अधम, दो अंगुल पानी सूख जाय तो मध्यम और एक अंगुलभर पानी सूख जाय तो उत्तम भूमिसमझें।।
तो प्रथम इन सर्व उपायों, परीक्षाओं से भूमि चयन और भूमिशुद्धिकरण करें। ऐसी पहचान करने के पश्चात् उसें भवननिर्माण एवं निवास के लिये पसंद करें, सक्षम समझें।
वत्स चक्र
जब सूर्य कन्या, तुला और वृश्चिक राशि का हो तब वत्स का मुख पूर्व दिशा में; धन, मकर और कुंभ राशि का हो तब वत्स का मुख दक्षिण दिशा में; मीन, मेष और वृषभ राशि काहो तब वत्सकामुख पश्चिम दिशा में; मिथुन, कर्क और सिंह राशि का हो तब वत्स का मुख उत्तर दिशा में होता है। वत्स का मुख जिस दिशा में हो, उस दिशा में खात प्रतिष्ठा, द्वार प्रवेश आदि कार्य करने की शास्त्र में मना है, किन्तु क्त्स एक दिशा में तीन-तीन मास रहता है तो तीन मास तक उक्त कार्य को रोकना ठीक नहीं। इसके लिये विशेष स्पष्टता की गई है।
घर की भूमि के प्रत्येक दिशा में सात सात भाग करें। इसमें अनुक्रम से प्रथम भाग में पांच दिन, दूसरे में दस, तीसरे में पंद्रह, चौथे में तीस, पाँचवें में पंद्रह, छठे में दश
•* वत्स चक्र * और सातवें में पाँच दिन वत्स रहता है। इसी प्रकार चारों दिशाओं में दिन संख्या समझनी चाहिए। जिस अंक पर वत्स का मस्तक हो उसी अंक के ठीक सामने के अंक पर वत्स की पूंछ रहती है। इस प्रकार वत्स की स्थिति होती है। ____कन्या राशि का सूर्य हो तब पूर्व दिशा में खात आदि का करना अनिवार्य हो तो कन्या राशि के प्रथम पाँच दिन
पश्चिम प्रथम भाग में खात आदि न करना
पूर्व
उत्तर
दक्षिण
जैन वास्तुसार
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