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जन-जन का जैन वास्तु सार
परमजैन चन्द्राङगज ठक्कुर फॅरु विरचित प्राकृत ग्रंथ 'सिरि वत्थुसार पयरणं' :
श्री वास्तुसार प्रकरण पर आधारित सम्पादन • संकलन - अनुवादन
* आशीर्वचन *
पू. कविमनीषि राष्ट्रसंत आचार्यश्री वास्तु-शिल्पज्ञ जयंतसेनसूरीश्वरजी
दक्षिणभारत के मूर्द्धन्य वास्तुविद् गौरु तिरुपति रेड्डी
* सम्पादक - अनुवादक *
प्रो. प्रतापकुमार ज. टोलिया, एम.ए.(हिं.), एम.ए. (अं), साहित्य रत्न
सुमित्रा प्र. टोलिया, एम.ए. (हिन्दी), संगीत विशारद
(सप्तभाषी आत्मसिद्धि, पंचभाषी पुष्पमाला, आत्मध्यान के अवसर पर आदि अनेक जैन ग्रंथों के सम्पादक-अनुवादक ; श्री भक्तामर स्तोत्र, आत्मसिद्धि शास्त्र,
महावीर दर्शन, ईशोपनिषद, आत्मखोज, ध्यानसंगीत आदि अनेक लांगप्ले - कॉम्पैक्ट डिस्क के गायक - निदेशक ;
भूतपूर्व कॉलेज प्रिन्सिपाल एवं प्राध्यापक)
जिनभारती वर्धमान भारती इन्टरनेशनल फाउन्डेशन प्रभात काम्पलेक्स, के.जी. रोड़, बेंगलोर - 560 009
जैन वास्तुसार