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पंचभाषी पुष्पमाला भाषा-परिभाषा में दिनभर-जीवनभर का, सतत जगाए रखनेवाला यह मार्गदर्शन, दिशा-दर्शन!!!
बहे जा रहे वर्तमान के, 'आज' के जीवन के सुवर्ण-क्षणों को पकड़ लेने का, उनको संजोकर संवार लेने का, उनका श्रेष्ठतम उपयोग कर लेने का यहाँ सुंदर आयोजन, १०८ प्रज्ञा-पुष्पों के द्वारा प्रस्तुत किया गया है। ऐसा अद्भुत, अनुपम, अनु-चिंतन कहाँ मिलेगा? ऐसी 'माला' भी तो कहाँ उपलब्ध होगी?
इस पुष्पमाला ने अनेकों के जीवन पुष्प की सी सुहास से पुष्पित, अनुप्राणित कर दिये हैं। हम अल्पज्ञों पर भी इस छोटी सी कृति का महान उपकार है। अनेकों के, सर्वजन सामान्य के, जीवन को सुंदर, सफल, ऊर्ध्वगामी बनाने की इस में क्षमता है।
परम कृपालु देव श्रीमद् राजचंद्रजी की 'मोक्षमाला-भावनाबोध', 'आत्मसिद्धि शास्त्र', 'वचनामृत' आदि परम उपकारक प्रज्ञा-कृतियों में यह 'पुष्पमाला' प्रथम गिनी जाएगी। जन-जन तक, गुजरात बाहर, भारतभर में ही नहीं विश्वभर में यह पहँचनी चाहिए, विश्वसमस्त की भाषाओं में यह वीतराग-वाणी महकनी चाहिए, अनुगूंजित होनी
छु जिनभारती