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________________ Second Proof Dt. 23-5-2017 - 5 महासैनिक. बूढ़े बाबा : मुझे यह कबूल करने में गर्व है कि मैं जरुर एक एजेन्ट' हूँ लेकिन आप के दुश्मन का नहीं, 'दोस्त' का; सिक्रेट या छिपा नहीं, सरे आम 'खुला' ! मैं एजेन्ट हूँगांधी-जैसे महासेनानी की शांति सेना का। जनरल : 'खुला' एजेन्ट ? गांधी जैसे महासेनानी का ? तो क्या गांधी एक सेनानी था ? बूढ़े बाबा : बेशक, गांधी एक सेनानी था, बिना हिंसक हथियार का सेनानी.....! (सोचकर घूमते हुए) जनरल : "गांधी एक सेनानी..... ! बिना हिंसक हथियार का सेनानी..... ! (रिवोल्वर जेब में रखता है) बूढ़े बाबा : जिसकी जेहाद (जिहाद) आज़ भी चालु है-विश्व के विसंवादों, असत्यों, हिंसाओं, अन्यायों और शोषणपूर्ण असमानताओं के खिलाफ हम जैसे शांति के सिपाहियों के जरिये..... (घावों के दर्द के कारण हाथ छाती पर रखता हुआ धीरे धीरे नीचे के एक पत्थर पर बैठ जाता है, जनरल सोचकर उसके पास आता है।) जनरल : (स्वगत) तो गांधी भी एक सेनानी था ? लेकिन बिना हथियार के कामयाब कैसे हुआ जा सकता है ?..... (अचानक बाबा ब) बढ़ते हुए दर्द की आह सुनाई देती है, उसके पास जाकर, प्रगट -) तुम बहुत ही जख्मी बनी दिखाई देते हो, ऐसी हालत में इस बमबारी के जोखिम की जगह पर आने की तुमने हिम्मत कैसे की ? (पश्चादभू में बम-आवाज़ ) बूढ़े बाबा : बिना हिंसक हथियारों को साथ के कारण । अहिंसा और प्रेम की ताक़त में विश्वास के कारण ।... शांति का सिपाही सैंकड़ों बमों की बौछारों के बीच भी निर्भय रह सकता है.... आत्मा की अमरता की फिल्सूफी उसे आचरण में उतारनी होती है-.... गांधी ने यह सिखाया था... जनरल : (आश्चर्य) ओह..... ! तुमने कभी गांधी को देखा था ? बूढ़े बाबा : बेशक, उन्हें सिर्फ देखने ही नहीं, उनसे अहिंसक लड़ाई के सबक सीखने भी मैं खुशनसीब हुआ था । मेरे दूर के बचपन की यह बात है। जनरल : अभी तुम्हारी उम्र क्या है ? बूढ़े बाबा : १०६ एक सौ छ: वर्ष । जनरल : १०६ वर्ष ? ताज्जुब की बात है, जो कि आसनी से मानी नहीं जा सकती... ! अगर यह सच हो तो भी इतनी उम्र तक तुम जी किस प्रकार सके ? और युद्ध के मैदानों पर भी कैसे घूमते रह सके ? बूढ़े बाबा : आज आप मान न सकें यह बात तो ठीक है । आम तौर पर हमारे देश के पुराने लोगों के और गांधी के जीने के ढंग को मैंने अपनाया था। उनकी जीवनचर्या का अनुसरण करने मैंने व्रत, नियम, संयम और साधना के कठोर जीवन का शुर से ही स्वीकार किया था..... । (5)
SR No.032302
Book TitleMaha Sainik Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherYogindra Yugpradhan Sahajanandghan Prakashan Pratishthan
Publication Year
Total Pages60
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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