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________________ शब्द- सम्पत्ति वालुय-कवलं (१६१.३३ ) वासहर पालीए (१४१.१४) वासारतो (१०१.१२) विरावेहिं (११३.१३) विलया (१०७.२६) वेसविलया (५६.३०) वूडोरोमंचो (१५९.२६) वोढुं (२२४.२९) वेल्लहल (२३२.११) वेयारिऊण (१२५.१५) वेलविऊण (८४.२४) वेसओ (११३.२१) संड-रमणिज्जो (५०.१ ) सफरूल्लिया (१३५.२६) समायाणं (२१७.५) समिलं समुप्पो (२०९.१८) = समग्ग ं (१४०.१८ ) सजंमेसु (२५.१६) सरह (११३.७ ) सुहिल्लि ( ८३.१४) सेज्जायर-घरे (९९.३१) सोवणयं (५३.१३) हत्थारोहाणं (१५५.११ ) हल्लप्फुल्ला ( ८३.१४) = = = = = |||||||||| = = = = = = || || = = = ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ = = = 11 = गाँठ का बन्धन = = = = बालु में भुनते चने जैसा वासघर - पालिका वर्षाकाल आवाज महिला घर की दासी रोमाँच होना पहुँचाना, ले जाना कोमल ठगकर, बहकाकर झांसा देकर वेश्या वृक्षसमूह से सुशोभित कुमुद संयम विशेष लकड़ी की कील डिब्बा २६९ सरहद, सीमा सुखकेलि, आनन्द उपाश्रय के मालिक का घर शयनकक्ष महावत आकुलता, हालफूल ( प्रसन्नता ) ।
SR No.032282
Book TitleKuvalaymala Kaha Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Jain Shastra evam Ahimsa Shodh Samsthan
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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