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कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन मट्ठोरु (१५१.१६)
पालसी, जड मरिही (१६१.१२)
मर जायेगी मयजाणवतं (२२४.२९) ठठरी (ऊँट की गाड़ी) मय-सिलिंब (५८.१९)
मृग का चच्चा महल्ल (२.१८)
विस्तीर्ण, बकवादी महाभारम्मि (१५४.१)
कोषागार महाबढरभट्ट (४८.२२) =
महा-बड़े, वढर-मूर्ख-छात्र,
भट्ट-ब्राह्मण मलिण-कुचेलो (१५५.१४) = मैले-कुचेले वस्त्र माईण (१२२.११) = जटाधारी स्त्री देवता मालूर-थणी (२३४.१३) = बेल का पेड़ मुद्दिऊण (१५४.१)
मुद्रा लगाकर मुहलिया (१५४.२८)
मुखरित वाचाल मूलिया (१६६.३०)
स्त्री-वैद्य मेढी (१८६.१२)
पशुबन्धन काष्ठ मेल्लि (९१.१३)
परित्याग करना (निद्रा) मोडिया (१२.२)
मोड़ी हुई वनलता लट्ठिप्पईव-सिहाए (१४०) = दीपक रखने की लकड़ी (दीवट) लल्लाया (४०.३०)
मछली पकड़ने वाला लोणिय (१५३.४) = मक्खन, नवनीत रंडा (४०.१५)
विधवा (रांड) रल्लयइं (१६९.१५)
रल्लक नाम का मृग रल्लय-कंवलए (१८.२६) रल्लक के रोम से बने हुए कंबल रिक्खाओ (१०१.११)
थकान रुल्ला (४०.३०) कल्ला - मद्य पीने वाला वच्चहिं (५७.३३)
बेचना वणीमयाणं (६५.८)
याचक, भिक्षु, भिखारी वत्तिणीए (६२.३३)
मार्ग, चित्र की रेखाएँ वल्लक्ख-एल्लयहं (१५१.१९) = वलक्ख, श्वेत, एल्लयहं (?) वलामोडिय (८.२५, ९.३) = बलपूर्वक आघात, ग्रंन्थि-बन्धन वसिमं (१९५.७) = वसति वाला स्थान