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कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन और यह अर्धवीस । हमें तो दाने-दाने का हिसाब रखना है।' सौ भार, कोटि लाख, सौ कोटि, एक पल, सौ पल, अर्धपल, कर्ष, मासा, रत्ति । धुरं (२), वहेडो (६), गोस्थान (४), मंगल (?), सुत्ती (२०)। अरे यहाँ आओ, इसके ऊपर तुम्हें थोड़ा ज्यादा दे दूंगा। माल क्यों ढके हो? अच्छी तरह परीक्षा कर लो (फिर) तुम जाओ।" यदि माल किसी प्रकार खोटा हो तो ग्यारह
गुणा दूंगा।"
बाजार में व्यापारियों की इस बातचीत से अनेक महत्त्वपूर्ण तथ्य प्राप्त होते हैं। ग्राहकों को किस प्रकार आकर्षित किया जाता था, अपने माल की गारंटी दी जाती थी, लाभ-हानि का हिसाब लगाया जाता था, नाप-तौल के कौनकौन से प्रमाण उस समय प्रचलित थे तथा जब तक सौदा न पट जाय व्यापारी अपना माल ढक कर रखते थे।
उद्द्योतनसूरि ने इस बातचीत द्वारा यह एक महत्त्वपूर्ण सूचना दी है कि उस मण्डी में ऐसे भी व्यापारी थे जो अपना माल ढककर रखते थे एवं ग्राहक उसकी निश्चित कीमत लगाकर माल उघाड़ने के लिए कहते थे। भारतीय व्यापारिक मंडियों में यह एक प्राचीन परिपाटी थी। उत्तरापथ के टक्क (टंकण) नामक म्लेच्छ सोना और हाथीदाँत आदि बहुमूल्य वस्तुएँ लेकर व्यापार के लिए दक्षिणापथ की यात्रा किया करते थे। ये दक्षिणवासियों की भाषा नहीं समझते थे, इसलिए हाथ के इशारों से मोल-तोल होता था। जवतक अपने माल की उचित कीमत न मिल जाय तब तक टक्क अपने माल पर से हाथ नहीं उठाते थे। विजयपुरी मण्डी का माल ढकनेवाला व्यापारी सम्भवतया इन्हीं म्लेच्छों में से कोई रहा होगा, जो उत्तरापथ के किसी नगर (अन्तर्वेद) से यहाँ आया होगा। टंकण म्लेच्छ माल के नाप-तौल में अपनी विशेषता रखते थे। अतः आगे चल कर नाप-तौल करने को टंक कहा जाने लगा होगा। कुव० में (३९.२) कपटपूर्वक नाप-तौल करने को कूट टंक कहा गया है और कूट टंक करनेवाले को तिर्यंच योनि का बंध बतलाया है । चार माये के सिक्के, नाप एवं तौल को टंक कहा जाता था।'
१. वीसो य यद्धवीसो वयं च गणिका कणिसवाया ॥-१५३.१५. २. भार-सयं अह कोडी-लक्खं चिय होइ कोडि-सयमेगं ।
पल-सय-पलमद्ध-पलं करिसं मासं च रत्ती य ॥ -वही १६. ३. होई धुरं च बहेडो गोत्थण तह मंगलं च सुत्ती य । -वही १७. ४. एयाण उवरि मासा एए अह देमि एएहिं ॥ - वही १७. ५. कह भंडं संवरियं, गेण्हसु सुपरिक्खउण, वच्च तुमं ।। ६. जइ खज्जइ कह वि कवड्डिया वि एगारसं देमि । -वही १८. ७. सूत्रकृतांगटीका, ३.३.१८, ज०-जै०आ०स०, पृ० १७४ पर उद्धृत. ८. द्रष्टव्य-टंकशाल.