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कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन सीमान्त-नहाने के बाद बालों को बीच से विभक्त कर दोनों ओर बाँधना कृत-सीमान्त कहा जाता था-हाअलित्त-विलत्त-कय-सीमंते (१५३.५) । आजकल जिसे मांग काढ़ना कहते हैं, उसे प्राचीन समय में सीमान्तकरण कहा जाता था।
उद्द्योतनसूरि ने केशविन्यास के उपर्युक्त प्रकारों के साथ-साथ प्रसाधन की अन्य सामग्रियों का भी उल्लेख किया है, जो प्राचीन भारत के कलात्मक शृंगार के क्षेत्र में प्रयुक्त होती थीं।
१. सीमन्तेषु द्विधा भावो ।-यश०, पृ० २०७.