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________________ १६० कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन धातु से बनने वाले इस आभूषण का आकार फूल जैसा होता था। कर्णपूर के लिये देशीभाषा में 'कनफूल' शब्द प्रचलित है। कटिसूत्र-कुमार को देखती हुई नगर की स्त्रियों में किसी कुलवधू का कटिसूत्र द्रुतगमन के कारण खुलकर पाँवों पर गिर पड़ा, जैसे स्वर्ण की शांकल से हथिनी को बाँधने का प्रयत्न किया गया हो (२५.६) । कटिसूत्र को देशीभाषा में 'कड्डोरा' कहा जाता है, जो चाँदी एवं स्वर्ण का वनता है । कुवलयचन्द्र के अयोध्या-आगमन पर जो आभूषण बनवाये गये उनमें कटिसूत्र के तार भी खींचे गये-लंबिज्जंति कडिसुत्तए (१९९.३१) । कांची-यह स्त्रियों द्वारा कमर में पहिनने का ढीला आभूषण था। कटितल पर कांची के गुरिये लटकते रहते थे (२३४.१०) । उद्द्योतन ने छोटे गुरियों वाली कांची को 'कणिर-कंचि' कहा है (२५४.१४) । हंस के आकार के गुरियों वाली कांची 'हंसावलिकंचिका' कही जाती थी।' कुंडल-उद्द्योतन ने मणिकुंडल एवं रत्नकुंडलों का उल्लेख किया है। कुंडल नर-नारियों के लिये प्रिय कर्णाभूषण है। इनकी आकृति गोल-गोल छल्ले के समान होती थी तथा वे खटके से बन्द हो जाते थे। कुछ कुंडल कान में लपेटकर भी पहिने जाते थे। अजंता की कला में इस तरह के कुंडल का चित्रांकन देखा जाता है। बुन्देलखण्ड में अभी भी ऐसे कुडल पहिनने का रिवाज है। दाम-शिशिरऋतु में स्त्रियाँ कंठ में पाटलादाम पहिनती थीं। यद्यपि आदिपुराण में मेखलादाम (४.१०४) एवं कांचीदाम (८ १३) का उल्लेख है, जो कटि आभूषण के लिये प्रयुक्त हुये हैं, किन्तु कुवलयमाला के उल्लेख से दाम कंठ का आभूषण प्रतीत होता है, सम्भव है आभूषणों की विशेषता व्यक्त करने के लिये 'दाम' शब्द कटि एवं कंठ दोनों के आभूषणों के साथ प्रयुक्त होता रहा हो, क्योंकि 'दाम' का सामान्य अर्थ बन्धक है। · नपुर-नपुर स्त्रियों के पैरों का ग्राभूषण था, जिसे 'पायल' कहा जा सकता है, उद्द्योतन ने मणिनपुरों का भी उल्लेख किया है, जिनसे मधुर शब्द निकलते रहते थे। इससे ज्ञात होता है कि नपुरों में धुंघरू भी लगाये जाते थे। पाँव में अलक्तक-मंडन के बाद नूपुर पहिने जाते थे । १. वही०, पृ० ५०३. २. कुंडलं कर्णवेष्टनम्-अमरकोष, २.६.१०३. ३. ओंधकृत अजंता, फलक ३३; हर्षचरित-सांस्कृतिक अध्ययन फलक २०, चित्र, ७८. ४. सिसिर-पल्लवत्थुरणओ पाडला-दाम सणाह-कंठओ-कुव० ११३.१०. ५. मणिणेउर-रण-रणारव-मुहलं, वही २५३.१०, १५७.३०, २३४.८ आदि । ६. जै०- यश० सां०, पृ० १५०.
SR No.032282
Book TitleKuvalaymala Kaha Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Jain Shastra evam Ahimsa Shodh Samsthan
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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