________________
( १७ )
पटचित्र । तिब्बत के टंक चित्र, कथात्मक-पट चित्र । चित्रकला के पारिभाषिक शब्द -- चित्तयर-दारओ, चित्तकला - कुसलो, चित्तपुत्तलिया, रेहा, वण्ग, वत्तिणो, विरयणं, भाव, ठाणय, माग, अंगोपांग एवं दठ्ठे । परिच्छेद ४ नगर एवं राजप्रासाद स्थापत्य ( ३०७ - ३२८ )
स्कन्धावार--- स्थापत्य का
नगरों के वर्णन-प्रसंगों में नगर - स्थापत्य -- परिखा, प्राकार, अट्टालक, गोपुर, रक्षामुख ( प्रतोली ), राज्यमार्ग, रथ्या, चत्वर, सिंगाडय ( त्रिराहा ), हट्ट, देवकुल, सभा आदि । प्रमुख अंग, बाह्याली - अश्व क्रीडा का मैदान, विपणिमार्ग, सिंहद्वार, बाह्यआस्थानमण्डप ( धवलगृह, अन्तःपुर, कुमारी अन्तःपुर, बालवृक्ष-वाटिका एवं गृह शकुनशवक, आपानकभूमि, भोजन- मण्डप । अभ्यन्तर-आस्थान- मण्डप, वासभवन, भवन उद्यान - मरकतमणि कोट्टिम, कदलीगृह, गुल्मवन- लतागृह, गृह-दधिका, वापी, क्रीडाशैल, देवगृह आदि । परिच्छेद ५. भवन - स्थापत्य ( ३२९-३३३ )
ध्वजा, तुंगभवन, शिखर, तोरण, गवाक्ष मालाएँ, वेदिका, कपोतपाली, सोपानपंक्ति । णिज्जूहय, आलय, द्वारदेश, हर्म्यतल, उल्लोक, आदि । यन्त्रशिल्प — यन्त्रजलधर, यन्त्रशकुन एवं जल-यन्त्र ।
परिच्छेद ६. मूर्ति - शिल्प ( ३३४-३४० )
तीर्थकर मूर्तियाँ - जिनगृह में अनेक मणियों से निर्मित जिनविम्ब, मुक्तासैल से निर्मित ऋषभप्रतिमा तीर्थकर को सिर पर धारण की हुई यक्ष-प्रतिमा, आठ देवकन्याओं एवं शालभंजिकाओं की मूर्तियाँ, विभिन्न पुत्तलियाँ, व्यक्तिगत रत्न प्रतिमाएँ । प्रतिमाओं के विभिन्न - पद्मासन, वीरासन, कुक्कुटासन, गोदोहनासन आदि ।
आसन
-
पध्याय सात : : धार्मिक जोवन
परिच्छेद १. प्रमुख धर्म ( ३४३-३७२ )
३४१-३९५
शैवधर्म-अद्वैतवादी, सद्वैतवादी, कापालिक, महाभैरव, आत्मबधिक, पर्वत- पतनक, गुग्गुलधारक, पार्थिवपूजनवादी, कारुणिक, दुष्ट जीव संहारक आदि सम्प्रदाय । शिव के विभिन्न रूप — शशिशेखर, त्रिनयन, हर, धवलदेह, शंकर, अर्धनारीश्वर एवं योगीशिव । महाकाल की प्रसिद्धि । रुद्र, स्कन्द षड्मुख, कुमार, गजेन्द्र, विनायक, गणाधिप, कात्यायनी, कोट्टजा आदि देवता । वैदिक धर्म- एकात्मवादी पशुयज्ञ समर्थक ( कर्मकाण्डी ), अग्निहोत्रवादी, वानप्रस्थ, वर्णवादी, ध्यानवादी, एकदण्डी, तपस्वी तापस, पासंडी, भिक्षुक, भोगी आदि धार्मिक आचार्य | त्रिदशेन्द्र, सप्तमातृकाएँ धार्मिक मठ आदि । पौराणिक धर्म - दानवादी, पूर्तधार्मिक, मूर्तिपूजक, विनयवादी,