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जैनधर्म की कहानियाँ भाग-१४/६७ कोई बिना महाव्रतादिक पाले मुक्त हुआ है। मुझे तो लगता है कि मेरे काबिल दोस्त बिना महाव्रतादिक पाले सीधे कोर्ट से ही
मोक्ष जाना चाहते हैं। क्यों वकील साहब क्या इरादा है? धर्म वकील - जज साहब ! मैं अपने काबिल दोस्त के सवाल का जवाब देने
से पहले उनसे ही कुछ सवालात पूछने की इजाजत चाहूँगा। मेरा पहला सवाल है कि - पाँच पाण्डवों में से किस-किस ने
मुनिदीक्षा ली थी ? पुण्य वकील- मीलॉर्ड ! मेरे काबिल दोस्त नाजायज सवाल पूछकर मुझे
गुमराह करना चाहते हैं और अदातल का कीमती वक्त जाया कर रहे हैं, क्योंकि मेरे सवालों का इन बातों से कोई ताल्लुक
नहीं। धर्मचन्द- ताल्लुक है जज साहब ताल्लुक है। मैं अदालत से दरखास्त
करूँगा कि मेरे चन्द सवालों का जवाब दिया जाए। . जज- वकील साहब के सवालों का जवाब दिया जाए। धर्म वकील - हाँ तो मैं पूछ रहा था कि पाँच पाण्डवों में से किस-किस ने
मुनिदीक्षा ली थी? पुण्य वकील- पाँचों पाण्डवों ने ही मुनिदीक्षा ली थी। धर्म वकील - क्या आप उनके नाम बता सकते हैं ? । पुण्य वकील- हाँ क्यों नहीं ? उनके नाम हैं - युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन; जो
शत्रुञ्जय से मुक्त हुए हैं और नकुल एवं सहदेव जो कि... खैर
मैंने नाम बता दिये हैं। धर्म वकील - अरे रुक क्यों गये वकील साहब? बोलिये न ! पुण्य वकील- हाँ ! नकुल और सहदेव सर्वार्थसिद्धि के देव बने। धर्म वकील - जज साहब ! मेरे काबिल दोस्त ने अभी अपने मुँह से कहा कि
पाँचों पाण्डवों ने महाव्रत धारण किये थे; फिर भी तीन मोक्ष गये और दो स्वर्ग गये; क्या नकुल सहदेव ने महाव्रत पालन करने