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जैनधर्म की कहानियाँ भाग-२/५७ बोले.....तो क्या बोले ? भरत चक्रवर्ती के कितने ही राजकुमार जन्म से ही गूंगे थे..... बोलते नहीं थे....फिर जब पहली ही बार बोले.... तब क्या बोले ? - यह जानने के लिए पढिये यह कहानी....
भरत चक्रवर्ती सहित अनेक रानियाँ भी चिन्तित हैं, क्योंकि उनके अनेक राजकुमार कुछ बोलते ही नहीं, लगता है जन्म से ही गूंगे हैं। अनेक वर्ष बीत गये, एक शब्द भी उनके मुख से अभी तक निकला नहीं था, राजकुमारों पर बोलने के लिए अनेक युक्ति और उपाय किये गये, परन्तु वे नहीं बोले।
अरे, चक्रवर्ती के रूपवान राजकुमार क्या जिंदगी भर ही गूंगे रहेंगे ? क्या वे बिल्कुल ही नहीं बोलेंगे ? – इसकी चिंता से सभी हमेशा चिन्तित रहते थे।
इसीसमय भगवान ऋषभदेव समवशरण सहित अयोध्यापुरी में पधारे.... राजा भरत उनके दर्शन करने के लिए गये..... साथ में इन गूंगे राजकुमारों को भी ले गये। भरत ने भगवान के दर्शन किये। राजकुमारों ने भी भक्तिभाव से अपने दादा तीर्थंकर ऋषभदेव के दर्शन किये, परन्तु अभी तक भी वे बोले नहीं।
___ आखिर भरत चक्रवर्ती ने पूछा – “हे प्रभो ! महापुण्यशाली राजकुमार कुछ भी नहीं बोलते ? क्या वे गूंगे हैं ?"
उस समय भगवान की वाणी में आया – “हे भरत ! ये राजकुमार गूंगे नहीं हैं, जन्म से ही वैराग्यचित्त के कारण वे कुछ भी नहीं बोलते । लेकिन अब वे बोलेंगे।"
__भरत ने कहा – “हे पुत्रो ! तुम गूंगे नहीं हो" - यह जानकर हमें अपार प्रसन्नता हुई है..... और अब क्या बोलते हो ? उसे सुनने के लिए हम उत्सुक हैं।