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साहित्य प्रकाशन फण्ड मुक्ता बेन नवलचंद भाई, सोनगढ़ मनीश सुधीर हेडा, अमेरिका . श्री खेमराज प्रेमचंद जैन ह. श्री अभयकुमार शास्त्री, खैरागढ़ बोटादरा परिवार यात्रासंघ, मुम्बई शांताबेन मांगीलालजी जैन, अहमदाबाद श्री इन्दुबाई बोधरा जैन, भिलाई ब्र. ताराबेन मैनाबेन - सोनगढ़ आशा खजांची, खैरागढ़ स्व. ढेलाबाई पिताश्री कंबरलाल ह.मोतीलालजी जैन,खैरागढ़ श्रीमती मनोरमा विनोद कुमार जैन, जयपुर श्री झनकारीबाई खेमराज बाफना चैरिटेबल ट्रस्ट, खैरागढ़ श्रीमती ममता रमेशचंद जैन शास्त्री, जयपुर ह. साकेत जैन श्री दुलीचंद कमलेशकुमार जैन ह. श्री जिनेश जैन खैरागढ़ श्री पन्नालाल उमेशकुमारजी जैन, ह.महेशजी छाजेड़, खैरागढ़ सौ. कंचनदेवी पन्नालाल ह. मनोज जैन, खैरागढ़ हंसा शाह, अमेरिका
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सबसे......पहले.....धर्म "जब वृद्धावस्था होगी, तब धर्म करूँगा" - ऐसा कहते-कहते अनेक जड़बुद्धि (मूर्ख) धर्म किये बिना ही मर गये। अरे, धर्म करने के लिए वृद्धावस्था की राह क्यों देखना ? मुमुक्षु के जीवन में पहला स्थान धर्म का होता है। सबसे पहला क्षण धर्म का......सबसे पहला काम धर्म का। भरत राजा के पास एक साथ तीन शुभ-संदेश आये थे। जिनमें पुत्ररत्न और चक्ररत्न की प्राप्ति- ये दोनों को गौण करके उन्होंने सबसे पहले भगवान आदिनाथ को केवलज्ञान-प्राप्ति के शुभ-सन्देश को मुख्य करके उनकी पूजा की थी। इस घटना से भरत चक्रवर्ती के जीवन में धर्म की प्रधानता थी - इसका पता चलता है। भाई ! यदि तुम्हें भी दु:ख से छूटना हो तो वर्तमान में तुम्हारे पास जो मौजूद है, उसका सदुपयोग कर लो। फिर कभी....फिर कभी के भरोसे प्रमादी होकर बैठे रहे तो अन्त में पछताना पड़ेगा। धर्म के संस्कार वृद्धावस्था में भी तुझे ऐसा सुन्दर सहारा देंगे कि अन्य सहारों की तुझे जरूरत ही नहीं पड़ेगी। अत: हे जीव ! तू आज से ही सचेत हो जा !!