________________ अनुवादक दिल्ली स्थित विजय वल्लभस्मारक की प्रणेता एवं कांगड़ा तीर्थोद्धारक, जैनभारती महत्तरा साध्वी मृगावती श्रीजी महाराज की सुशिष्या सुव्रताश्रीजी ने आचार्य हरिभद्रसूरिजी के अत्यन्त किलष्ट ग्रंथ योगबिन्दु का हिन्दी भाषा में सरल व सुबोध शैली में अनुवाद किया है। साध्वी श्री विगत पाँच दशकों से जैनाचार का सुदृढ पालन कर रही हैं / संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, पंजाबी आदि भाषाएं जानती है तथा पंडित बेचरदास दोशी के प्राकृत मार्गोपदेशिका का हिन्दी अनुवाद किया है जो सर्वत्र सम्माननीय बना है। उनका अभी अन्य ग्रंथों पर भी संशोधन कार्य चल रहा है। संपादक लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर के निदेशक प्रो. जितेन्द्र बी. शाह भारतीय धर्म एवं दर्शन के विद्वान हैं, आपने एम.ए. एवं पीएच.डी. (भारतीय दर्शन एवं विश्व के धर्म) तथा जैन दर्शन में आचार्य की उपाधियाँ प्राप्त की है। आपका द्वादशारनयचक्र एक समीक्षात्मक अध्ययन सहित दर्शनशास्त्र की विविध शाखाओं में 14 संशोधन परक ग्रंथों, 50 संपादित ग्रंथों तथा लगभग 70 शोधलेखों का भारतीय विद्या के क्षेत्र में योगदान रहा है। प्रो. शाह 1998 से बी. एल. इन्स्टिट्यूट ऑफ इण्डोलॉजी, दिल्ली के वाईस-चेयरमेन सहित देश एवं विदेश के एकदर्जन शैक्षणिक एवं सामाजिक संस्थानों में सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। योगबिन्दु Pages : 42 + 306 Copies : 1000 Price : Rs. 600/ISBN : 978-81-208-4186-4