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-आज०(१)
-आज०(२)
-आज०(३)
कर्ता : पूज्य श्री यशोविजयजी महाराज - 10 आज जिनराज मुज काज सीधां सवे, तुं कृपाकुंभ जो मुज तुठो, कल्पतरू कामघट कामधेनु मळ्यो, अंगणे अमिय-रस मेह वूठो वीर तुं कुंडपुर-नयर भूषण हुओ, राय सिद्धार्थ त्रिशला तनुजो, सिंह लंछन कनक वर्ण कर-सप्त-तनु, तुज समो जगतमां को न दूजो सिंह परे एकलो धीर संयम ग्रहें, आयु बोहोत्तर वरस पूर्ण पाळी, पुरी अपापा निःपाप शिववहु वो, तिहाथकी पर्व प्रगटी दिवाळी सहस तुज चउद मुनिवर महासंयमी, साहुणी सहस छत्रीश राजे; यक्ष मातंग सिद्धायिका वर सुरी, सकळ तुज भविकनी भीति भांजे तुज वचन-राग-सुख-सागरे इीलतो, पीलतो मोह-मिथ्यात-वेरी; आवीओ भाविओ धरम-पथ हुँ हवें, दीजीयें परम-पद होई बेली सिंह निशि-दीह जो हृदय-गिरि मुज रमें, तुं सुगुण-लीह अ-विचल निरीहो तो कुमत-रंग-मातंगना युथथी मुज नहीं कोई लव-लेशे-बीहो शरण तुज चरण में चरण-गुणनिधि ग्रह्या, भव-तरण-करण-दम-शरम दाखो; हाथ जोडी कहें जशविजयजी बुध ईश्यु, देव ! निज भुवनमां दास राखो
-आज०(४)
-आज०(५)
-आज0 (६)
-आज०(७)
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